अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रविवार (19 अक्तूबर 2025) को संकेत दिया कि अगर चीन अमेरिका के पक्ष में कुछ सकारात्मक कदम उठाता है तो उनकी सरकार टैरिफ नीति पर फिर से विचार कर सकती है. यह बयान ऐसे समय में आया है जब कुछ ही दिन पहले ट्रंप प्रशासन ने चीन से आयात होने वाले सामान पर 100 प्रतिशत तक शुल्क बढ़ाने और 1 नवंबर से सॉफ्टवेयर निर्यात नियंत्रण लागू करने की घोषणा की थी.

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ट्रंप ने मीडिया से कहा कि उनके और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच संबंध सामान्य से बेहतर हैं. उन्होंने कहा कि दोनों देशों में मतभेद मौजूद हैं, लेकिन अगर बीजिंग अमेरिका के लिए कुछ अच्छा करता है तो टैरिफ में कमी संभव है. ट्रंप के अनुसार यह अब एकतरफा रास्ता नहीं है. हम अपने हितों की रक्षा करेंगे लेकिन चीन सहयोग करे तो समझौते की गुंजाइश है.

ट्रेड वॉर में फिर बढ़ता तनाव

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पिछले कुछ महीनों की शांति के बाद अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध एक बार फिर तेज होता दिख रहा है. वाशिंगटन ने हाल ही में तकनीकी उत्पादों पर निर्यात नियंत्रण कड़ा किया है और अमेरिकी बंदरगाहों में चीनी जहाजों पर अतिरिक्त शुल्क लगाने की तैयारी की है. इसके जवाब में, चीन ने दुर्लभ मृदा तत्वों (Rare Earth Minerals) और अन्य रणनीतिक सामग्रियों के निर्यात पर सख्त नियम लागू किए हैं.

नई बातचीत की तैयारी और संभावित समझौता

अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने पुष्टि की है कि दोनों देशों के प्रतिनिधि इस सप्ताह मलेशिया में नई व्यापार वार्ता करेंगे. यह बैठक ट्रंप के हालिया बयानों और शी जिनपिंग के साथ रद्द हुई मुलाकात के बाद संबंधों में सुधार की कोशिश के रूप में देखी जा रही है. बीजिंग ने भी इशारा किया है कि वह टैरिफ विवाद के बीच बातचीत के नए दौर के लिए तैयार है.

WTO की चेतावनी- वैश्विक अर्थव्यवस्था को खतरा

विश्व व्यापार संगठन (WTO) की महानिदेशक न्गोजी ओकोन्जो-इवेला ने चेतावनी दी है कि अमेरिका और चीन के बीच जारी व्यापारिक टकराव से वैश्विक अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान हो सकता है. उन्होंने कहा कि यदि यह तनाव जारी रहा, तो विश्व उत्पादन में लगभग 7% की गिरावट दर्ज की जा सकती है. उनके अनुसार, अमेरिका-चीन व्यापार तनाव केवल द्विपक्षीय नहीं है बल्कि इसका असर पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा.

क्या है ट्रंप की रणनीति?

विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप की यह नीति उनकी “डील आधारित कूटनीति” (Deal Diplomacy) का हिस्सा है. वे पहले सख्त कदम उठाते हैं, फिर बातचीत का रास्ता खोलते हैं ताकि राजनीतिक और तकनीकी रियायतें हासिल की जा सकें. ट्रंप प्रशासन की टैरिफ नीति ने अमेरिकी टेक्नोलॉजी सेक्टर को भी प्रभावित किया है, विशेष रूप से सेमीकंडक्टर और सॉफ्टवेयर उद्योग, जो चीन को एक बड़ा बाजार मानते हैं.

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