संयुक्त राष्ट्र के एक्सपर्ट्स का एक पैनल आज जलवायु परिवर्तन पर एक महत्वपूर्ण रिपोर्ट जारी करने जा रहा है. ग्लासगो में नवंबर में होने वाले संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन से पहले यह रिपोर्ट दुनियाभर के देशों को ग्लोबल वार्मिंग के वर्तमान प्रभावों और भविष्य के जोखिमों पर लेटेस्ट फैक्ट्स प्रदान करेगी.


पैनल यह इस बात की भी जानकारी देगा कि आने वाले दशकों में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के विभिन्न विकल्प जलवायु परिवर्तन की गति को कैसे प्रभावित करेंगे.दुनिया के लगभग 200 देशों ने ऐतिहासिक पेरिस जलवायु समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. इसका उद्देश्य सदी के अंत तक ग्लोबल वार्मिंग को 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे रखना है. आदर्श रूप से यह 1.5 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा नहीं होना चाहिए.


विश्व अर्थव्यवस्था में बदलाव करने से हासिल हो सकता है लक्ष्य
इंटर गवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज की पिछली रिपोर्टों में पाया गया था कि आने वाले दशकों में विश्व अर्थव्यवस्था में भारी बदलाव करने पर इन लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सकता है. लेकिन 2013 में आखिरी रिपोर्ट प्रकाशित होने के बाद से वैज्ञानिक कह रहे हैं कि 1.5 डिग्री सेल्सियस लक्ष्य शायद अब पहुंच से बाहर है क्योंकि 1 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा वार्मिंग पहले ही हो चुकी है और वातावरण में पहले से ही उत्सर्जन के कारण तापमान में और वृद्धि लॉक इन है. 


31 अक्टूबर से 12 नवंबर तक ग्लासगो में होने वाले संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन में सरकारें इस बात पर चर्चा करेंगी कि ग्लोबल वार्मिंग को रोकने के लिए हर देश और क्या कर सकता है. इसके साथ ही इससे प्रभावित लोगों की मदद पर भी चर्चा की जाएगी. 


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