भारत ने अग्नि-5 इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) का सफल परीक्षण किया है. इसने न सिर्फ एशिया ही नहीं बल्कि वैश्विक रणनीतिक संतुलन को प्रभावित किया है. इस परीक्षण ने तुर्किए को भी टेंशन में ला दिया है, क्योंकि इसकी मारक क्षमता इतनी है कि तुर्किए भी इसकी जद में आ गया है. तुर्किए मीडिया ने इस विषय पर व्यापक बहस की और इसे देश की सुरक्षा पर सीधा खतरा बताया. राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोगन ने इस संदर्भ में कहा कि कोई भी देश, जो अपना खुद का रडार और एयर डिफेंस सिस्टम विकसित नहीं कर सकता, वह मौजूदा सुरक्षा चुनौतियों के सामने आत्मविश्वास से अपना भविष्य नहीं देख सकता. यह बयान साफ संकेत देता है कि तुर्किए अब पूरी तरह से स्वदेशी डिफेंस सिस्टम पर निर्भरता बढ़ाने की दिशा में काम कर रहा है.

जुलाई  2025 के अंतिम सप्ताह में तुर्किए ने अपनी पहली हाइपरसोनिक बैलिस्टिक मिसाइल तायफुन ब्लॉक-4 का अनावरण किया. इसे तुर्किए की सरकारी रक्षा कंपनी रोकेटसन (Roketsan) ने विकसित किया है. यह मिसाइल 280 किलोमीटर तक की दूरी पर सटीक वार कर सकती है. इसकी खासियत यह है कि येएयर डिफेंस सिस्टम, कमांड सेंटर और संवेदनशील सैन्य ठिकानों को निशाना बनाने में सक्षम है. इसके अलावा, इसे सैटेलाइट-आधारित नेविगेशन सिस्टम से गाइड किया जा सकता है, जिससे इसकी सटीकता और भी बढ़ जाती है. इस तकनीक के माध्यम से तुर्किए यह संदेश देना चाहता है कि वह अब केवल पारंपरिक हथियारों पर निर्भर नहीं रहेगा, बल्कि आधुनिक मिसाइल तकनीक में भी प्रतिस्पर्धा करने के लिए तैयार है.

स्टील डोम तुर्किए का एयर डिफेंस प्रोजेक्टअगस्त 2022 में एर्दोगन की सरकार ने स्टील डोम प्रोजेक्ट की घोषणा की थी. इसका मकसद समुद्र और जमीन आधारित एयर डिफेंस प्लेटफ़ॉर्म और सेंसरों को आपस में जोड़कर एक ऐसा नेटवर्क तैयार करना, जो तुर्किए की रक्षा कर सके. हाल ही में एर्दोगन ने इस परियोजना के नए फेज का अनावरण किया, जिसमें 47 वाहन शामिल किए गए हैं और इन पर लगभग 460 मिलियन डॉलर खर्च किया गया है. एर्दोगन ने कहा कि यह सिस्टम हमारे मित्रों में विश्वास और दुश्मनों में डर  पैदा करेगा. हालांकि, अभी यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि स्टील डोम कब तक पूरी तरह चालू होगा.

तुर्किए की रक्षा रणनीति का बदलता परिदृश्यभारत के अग्नि-5 मिसाइल परीक्षण ने तुर्किए को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि वैश्विक भू-राजनीति में वह कहां खड़ा है. नाटो का सदस्य होने के बावजूद तुर्किए ने हमेशा अपनी डिफेंस सिस्टम को स्वतंत्र और आत्मनिर्भर बनाने पर जोर दिया है. तायफुन ब्लॉक-4 और स्टील डोम जैसे प्रोजेक्ट इस बात के प्रतीक हैं कि तुर्किए न केवल क्षेत्रीय बल्कि वैश्विक स्तर पर भी अपनी सुरक्षा क्षमताओं को मजबूत करना चाहता है.

ये भी पढ़ें: Minneapolis Shooting: 'भारत पर परमाणु बम गिराओ', अमेरिकी स्कूल के हमलावर की बंदूक पर लिखी चौंकाने वाली बात, ट्रंप का जिक्र भी