पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा (KPK) के  कुछ ट्राइबल जिलों में सरकारी नियंत्रण तेजी से कमजोर हो रहा है. सूत्रों के अनुसार, तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) और इसके सहयोगी समूह ,खासकर डूरंड रेखा के पास के खैबर, कुर्रम, उत्तर और दक्षिण वजीरिस्तान और बाजौर क्षेत्रों में अपनी पकड़ मजबूत कर रहे हैं.

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सेना के लिए नो-गो जोन बन रहे कई इलाकेसूत्रों के मुताबिक, अब कई इलाके सेना के लिए नो-गो जोन बन चुके हैं. TTP के लड़ाके मुख्य सड़कों पर चेकपोस्ट लगा रहे हैं. इनमें शामिल हैं पेशावर–खैबर रोड, हंगू–कुर्रम मार्ग, बन्नू–डेरा इस्माइल खान मार्ग और बाजौर के कुछ हिस्से. स्थानीय लोगों ने बताया कि उग्रवादी वाहनों की जांच कर रहे हैं, पहचान पत्र देख रहे हैं और जिहाद के नाम पर धन इकट्ठा कर रहे हैं. TTP के मीडिया विंग ने भी लड़ाकों के चेकपोस्ट संभालने की तस्वीरें जारी की हैं, जो सरकार की सत्ता के लिए एक सांकेतिक और वास्तविक चुनौती हैं.

शहरों की ओर बढ़ रहा प्रभावन्यूज 18 की खबर के मुताबिक, इंटेलिजेंस सूत्रों का कहना है कि TTP अब ग्रामीण इलाकों से शहर के बाहरी हिस्सों की ओर नियंत्रण बढ़ा रहा है. वे पेशावर के बदाबेर, मत्तानी और बर रोड क्षेत्र में जड़ें जमा चुके हैं, जो पहले फ्रंटियर कॉर्प्स और पुलिस के अधीन थे. इन जगहों को TTP ने अर्द्ध-स्थायी लॉजिस्टिक और वसूली केंद्र बना लिया है. यह उन्हें हथियार जमा करने, नए लड़ाके भर्ती करने और संचालन के लिए धन जुटाने में मदद करता है.

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पुलिस की पीछे हटने से बढ़ी खतरे की स्थितिखैबर-मोहमंद बेल्ट में पुलिस चौकियों के पीछे हटने से TTP ने छायादार प्रशासनिक ढांचे बना लिए हैं. यह रणनीति तालिबान की अफगानिस्तान रणनीति की तरह है, जिसमें पहले ग्रामीण इलाके पर धीरे-धीरे नियंत्रण किया गया और फिर शहर की मुख्य सड़कों में घुसपैठ की गई. सूत्रों के अनुसार, सैनिक घनी आबादी वाले इलाके में काम करने से हिचकिचा रहे हैं, क्योंकि वहां हाई कैजुअल्टी का खतरा है और स्थानीय लोग TTP के पक्ष में हैं. कई पंजाबी सैनिकों ने इन अस्थिर क्षेत्रों में तैनाती मना कर दी, जिससे सेना अब रक्षात्मक निगरानी पर ज्यादा निर्भर है.

KPK में सबसे बड़ा आंतरिक सुरक्षा संकटसूत्रों का कहना है कि KPK की वर्तमान स्थिति पाकिस्तान के लिए हाल के वर्षों का सबसे गंभीर आंतरिक सुरक्षा संकट है. TTP के लड़ाके अब सड़कों पर खुले आम घूम रहे हैं, पैम्फलेट बांट रहे हैं और धन इकट्ठा कर रहे हैं, जिससे विद्रोह और राज्य नियंत्रण की सीमा धुंधली हो गई है. यह पाकिस्तान की उत्तर-पश्चिमी सीमाओं पर कमजोर नियंत्रण की चेतावनी है.