तिब्बत में शनिवार (13 सितंबर) को सुबह भूकंप के हल्के झटके महसूस किए गए. भारतीय राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (NCS) के अनुसार, यह भूकंप सुबह 4 बजकर 57 मिनट पर आया. भूकंप के बाद लोग अपने घरों से बाहर निकल आए. हालांकि, किसी बड़े नुकसान की कोई जानकारी अब तक सामने नहीं आई है.

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भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 3.1 मापी गई. इसका केंद्र तिब्बत में 27.93°N अक्षांश और 87.27°E देशांतर पर स्थित था. भूकंप 10 किलोमीटर की गहराई में आया. हिमालय और तिब्बत क्षेत्र भूगर्भीय दृष्टि से अति-संवेदनशील (Seismically Active Zone) है. यहां समय-समय पर हल्के से मध्यम तीव्रता के भूकंप आते रहते हैं.

क्यों आता है भूकंप?

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भूकंप आने का सबसे बड़ा कारण पृथ्वी की सतह के नीचे मौजूद टेक्टोनिक प्लेटें हैं. धरती की बाहरी परत कई बड़ी-बड़ी प्लेटों में बंटी हुई है, जो लगातार अपनी जगह से हलती-डुलती रहती हैं. जब ये प्लेटें आपस में टकराती हैं, एक-दूसरे के ऊपर चढ़ जाती हैं या किसी जगह पर अटककर अचानक खिसक जाती हैं, तो बहुत बड़ी मात्रा में ऊर्जा निकलती है. यही ऊर्जा भूकंपीय तरंगों (Seismic Waves) के रूप में बाहर फैलती है और हमें धरती हिलती हुई महसूस होती है. इसके अलावा ज्वालामुखी विस्फोट, भूमिगत खदानों में विस्फोट या धरती के अंदर दरारें भी भूकंप का कारण बन सकती हैं.

भूकंप के दौरान इन सावधानियों से बच सकती है जान

भूकंप के झटके कभी भी और कहीं भी आ सकते हैं, ऐसे में सतर्कता और सावधानी ही सबसे बड़ा बचाव है. भूकंप आने पर सबसे पहले घबराना नहीं चाहिए. इमारत के अंदर मौजूद लोग तुरंत मजबूत मेज या बेड के नीचे जाकर सिर और शरीर को ढक लें और दरवाजे-खिड़कियों तथा भारी सामान से दूर रहें. लिफ्ट का इस्तेमाल न करें और सुरक्षित जगह पहुंचने के लिए सीढ़ियों का सहारा लें.

अगर भूकंप के समय आप बाहर हों तो इमारतों, बिजली के खंभों, पुल और बड़े पेड़ों से दूर जाकर खुली जगह में खड़े हों. वहीं वाहन चला रहे लोगों को सलाह दी जाती है कि तुरंत गाड़ी रोकें, लेकिन पुल या ओवरब्रिज के नीचे न रुकें.

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