दिल्ली और आसपास के इलाकों में एक बार फिर घना स्मॉग छा गया है और हवा की गुणवत्ता बेहद खराब हो गई है. इसी बीच चीन ने भारत के साथ प्रदूषण की इस 'साझा लड़ाई' का जिक्र करते हुए खुद को उदाहरण पेश किया है. चीन का कहना है कि उसने पिछले एक दशक में लगातार प्रयासों से प्रदूषण को काफी कम किया है और वह भारत को अपने अनुभव साझा करने को तैयार है.

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चीन ने तस्वीरों में दिल्ली के प्रदूषण की तुलना की

चीनी दूतावास की प्रवक्ता यू जिंग ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट किया कि चीन और भारत दोनों तेज शहरीकरण के बीच प्रदूषण से जूझ रहे हैं. उन्होंने बीजिंग और नई दिल्ली की हवा की गुणवत्ता की तुलना करते हुए तस्वीरें शेयर कीं. एक तरफ बीजिंग का AQI 68 था, जो 'संतोषजनक' श्रेणी में आता है, जबकि दिल्ली का AQI 447 था, जो 'गंभीर' स्तर का है.

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यू जिंग ने लिखा, 'चीन भी कभी गंभीर स्मॉग से जूझता था. पिछले दशक में हमारे लगातार प्रयासों से अब काफी सुधार हुआ है. आने वाले दिनों में हम छोटी-छोटी सीरीज के जरिए अपना अनुभव साझा करेंगे.'

दिल्ली में प्रदूषण की स्थिति बेहद गंभीर

कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट ने ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) का स्टेज-4 लागू कर दिया है. इसमें निर्माण कार्यों पर रोक, प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों पर पाबंदी और अन्य इमरजेंसी कदम शामिल हैं. दिल्ली का सर्दियों में प्रदूषण का संकट हर साल दोहराया जाता है.

चीन ने प्रदूषण से लड़ाई में क्या किया?

  • 2008 बीजिंग ओलंपिक से शुरू हुई अस्थायी कदमों ने आगे की नीतियों की आधार रखा.
  • 2013 में प्रदूषण को 'गंभीर' मानते हुए राष्ट्रीय एक्शन प्लान शुरू किया.
  • कोयला आधारित बिजली संयंत्रों में बदलाव और फैक्टरियों के उत्सर्जन मानकों को सख्त किया.
  • कोयले की निर्भरता कम की और नवीकरणीय ऊर्जा बढ़ाई.
  • पड़ोसी इलाकों (जैसे तियानजिन और हेबेई) के साथ मिलकर काम किया, साझा लक्ष्य रखे.
  • बड़े निवेश किए, जैसे 2013 से 2017 तक प्रदूषण नियंत्रण पर खर्च कई गुना बढ़ा.
  • इलेक्ट्रिक वाहन और पब्लिक ट्रांसपोर्ट को बढ़ावा दिया.

चीन को इसके नतीजे क्या मिले?

  • बीजिंग में PM2.5 का स्तर 2013-2017 के बीच 35% कम हुआ.
  • पिछले साल बीजिंग में 290 दिन अच्छी हवा के दर्ज हुए, जो रिकॉर्ड है.
  • चीन ने दुनिया में सबसे ज्यादा प्रदूषण कम किया.

चीन से दिल्ली के लिए सबक क्या है?

चीन का अनुभव बताता है कि सख्त नीतियां, क्षेत्रीय समन्वय, पारदर्शी डेटा, लगातार फंडिंग और सख्त अमल से प्रदूषण कम किया जा सकता है. भारत में भी नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम चल रहा है, लेकिन एक्सपर्ट्स का कहना है कि क्षेत्रीय सहयोग और तेज अमल की जरूरत है. चीन ने कहा है कि वह भारत के साथ यह सफर साझा करने को तैयार है.

यह घटना दोनों देशों के बीच पर्यावरण सहयोग की संभावना को दिखाती है, जबकि दिल्ली में लोग साफ हवा के लिए इंतजार कर रहे हैं.