पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच गुरुवार (06 नवंबर, 2025) से शुरू होने वाली बातचीत के लिए तालिबान का पांच सदस्यीय दल काबुल से तुर्किए की राजधानी इस्तांबुल रवाना हो गया है. पाकिस्तान के साथ बातचीत के लिए तालिबान डेलीगेशन की कमान अफगान खुफिया एजेंसी के जनरल डायरेक्टोरेट ऑफ इंटेलिजेंस (GDI) के प्रमुख मौलवी अब्दुल हक वासिक संभालेंगे.
अफगानिस्तान के प्रतिनिधिमंडल में उप गृहमंत्री मौलवी रहमतुल्लाह नजीब, हक्कानी नेटवर्क के सदस्य और गृहमंत्री सिराजुद्दीन हक्कानी के भाई अनस हक्कानी, कतर में अफगानिस्तान के कार्यवाहक राजदूत सुहैल शाहीन और अफगानिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अब्दुल कहर बल्खी भी शामिल रहेंगे.
5 दिनों चली थी PAK-अफगान वार्ता
तुर्किए की राजधानी इस्तांबुल में 25 अक्टूबर से 30 अक्टूबर तक कतर और तुर्किए की मध्यस्थता में पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच 5 दिनों तक बातचीत हुई थी, जिसमें पाकिस्तानी दल की कमान ISI के स्पेशल ऑपरेशंस डिवीजन का प्रमुख मेजर जनरल शहाब असलम संभाल रहा था.
हालांकि दोनों देशों के बीच बातचीत बेनतीजा रही थी और सिर्फ सीजफायर 6 नवंबर तक आगे बढ़ाने को लेकर सहमति हुई थी. इस दूसरे दौर की वार्ता के बेनतीजा होने का ठीकरा अफगानिस्तान के अधिकारियों ने पाकिस्तानी ISI के स्पेशल ऑपरेशंस डिवीजन के प्रमुख मेजर जनरल शहाब असलम पर फोड़ा था, जिस पर पहलगाम में आतंकी हमले करवाने का ब्लू प्रिंट तैयार करने का आरोप है.
पाकिस्तान डाल रहा था अफगानिस्तान पर दबाव
अफगानिस्तान की सरकार के वरिष्ठ अधिकारी कारी सईद खोशती ने दावा किया था कि पिछले दौर की वार्ता में पाकिस्तान का प्रतिनिधिमंडल सिंध और बलूचिस्तान में फैले आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट खोरासान के नेटवर्क को खत्म करने के लिए कोई भी लिखित आश्वासन देने के तैयार नहीं था.
पाकिस्तान लगतार अफगानिस्तान पर दबाव डाल रहा था कि तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान (TTP) के आतंकियों को अफगानिस्तान अपने देश में पनाह दे, जबकि TTP के प्रमुख नूर वली महसूद से लेकर सभी आतंकी पाकिस्तानी हैं और पाकिस्तान के खैबर पख़्तूनख़्वाह में रह रहे हैं. ऐसे में पांच दिन तक चली इस्तांबुल में पाकिस्तान और अफगानिस्तान की बातचीत विफल रही थी.
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