नई दिल्लीः कल से ही अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की पाकिस्तान की आर्थिक सैन्य मदद रोकने का मामला चर्चा में है. कहा जा रहा है कि इस कदम से पाक को आर्थिक मोर्चे पर बड़ा झटका लगेगा. हालांकि चीन ने आज पाक का साथ देते हुए कहा कि पाकिस्तान खुद आतंकवाद के खिलाफ कुर्बानी देता हुआ आया है.

पाक की इकोनॉमी में अमेरिका से मिलने वाली आर्थिक मदद का एक बड़ा हिस्सा शामिल है और अगर इसका पूरा विवरण देखें तो हमें पता लगेगा कि पाकिस्तान के अलग-अलग कई सेक्टर्स में काम अमेरिकी मदद से ही चल रहा था. हालांकि अब जब यूएस ने आतंकवाद के खिलाफ समुचित कार्रवाई न करने के चलते पाक की सैन्य आर्थिक मदद रोक दी है तो पाक के लिए इन सेक्टर्स का काम चलाना बड़ा मुश्किल हो जाएगा.

पाकिस्तान को अलग-अलग सेक्टर में दी गई मदद

रक्षा या डिफेंस संबंधी मदद
  • काउंटरनारकोटिक्स फंड - 326 मिलियन डॉलर डॉलर (2069 करोड़ रुपये)
  • विदेश मंत्रालय फाइनेंसिंग- 4.10 बिलियन डॉलर (25,500 करोड़ रुपये)
  • इंटरनेशनल मिलिट्री एजूकेशन और ट्रेनिंग - $52 मिलियन डॉलर (331 करोड़ रुपये)
  • इंटरनेशनल नारकोटिक्स कंट्रोल एंड लॉ इंनफोर्समेंट जिसमें पाक की बॉर्डर सिक्योरिटी भी शामिल है उसके लिए यूएस की तरफ से पाक को 949 मिलियन डॉलर (6045 करोड़ रुपये) मिलते हैं.
  • एंटी टेरेरिज्म फंड -182 मिलियन डॉलर (1146 करोड़ रुपये)
अर्थव्यवस्था से जुड़ी आर्थिक मदद
  • बच्चों के संरक्षण और स्वास्थय के लिए 295 मिलियन डॉलर (1878 करोड़ रुपये)
  • इकनॉमिक सपोर्ट फंड 8.70 बिलियन डॉलर (57,000 करोड़ रुपये)
  • खान-पान के लिए आर्थिक मदद 643 मिलियन डॉलर (4094 करोड़ रुपये)
  • इंटरनेशनल डिजास्टर असिस्टेंस (भूकंप, बाढ़ आदि) के लिए 918 मिलियन डॉलर या 5850 करोड़ रुपये की आर्थिक मदद
  • माइग्रेशन और रिफ्यूजी असिस्टेंस 257 मिलियन डॉलर (1656 करोड़ रुपये)

वित्त वर्ष 2018 के लिए पाक को मिलती इतनी आर्थिक मदद वित्त वर्ष 2018 के लिए अमेरिका की तरफ से पाकिस्तान को 345 मिलियन डॉलर यानी 2197 करोड़ रुपये देने की योजना थी. वहीं साल 2018 के लिए पाकिस्तान को अमेरिका से 134 मिलियन डॉलर (843 करोड़ रुपये) की मिलिट्री सहायता भी मिलने वाली थी. इसके अलावा अमेरिका की तरफ से 211 मिलियन डॉलर या (1343 करोड़ रुपये) की आर्थिक मदद पाक अर्थव्यवस्था के लिए मिलने वाली थी पर कल ट्रंप के एलान के बाद ये सभी आर्थिक सहायता की बात खटाई में पड़ चुकी है.

इस तरह साफ कहा जा सकता है कि आने वाले समय में पाकिस्तान को इन सब सेक्टर्स में मिलने वाली आर्थिक मदद रुकने से इनका कामकाज काफी हद तक प्रभावित हो सकता है.