पिछले महीने ताइवान के उत्तर-पूर्वी तट पर सु'आओ बे में तीन खास समुद्री ड्रोन दिखे- ‘कार्बन वॉयेजर 1’, ‘ब्लैक टाइड I’ और ‘सी शार्क 800’. ये ड्रोन एक प्रदर्शनी में दिखाए गए, जिसका मकसद ताइवान की समुद्री सुरक्षा को मजबूत करना था. चीन के हमले की आशंका को देखते हुए ताइवान अब सीधे युद्ध की बजाय एक अलग रणनीति अपना रहा है, जिसे 'असममित युद्ध'(asymmetric warfare) कहा जाता है. इसका मतलब है ऐसा मुकाबला तैयार करना जिससे दुश्मन को भारी नुकसान उठाना पड़े और वह हमला करने से पहले कई बार सोचे. ड्रोन इस रणनीति का अहम हिस्सा हैं, जिनमें समुद्र से चलने वाले ड्रोन, खुद को उड़ाने वाले आत्मघाती ड्रोन और ऊपर से निगरानी करने वाले ड्रोन शामिल हैं. ताइवान की भौगोलिक स्थिति और चुनौतीताइवान का तटीय भूगोल और चट्टानी समुद्र तट एक बड़े स्तर के चीनी हमले के लिए चुनौतीपूर्ण माने जाते हैं, लेकिन PLA (चीनी सेना) की दशकों लंबी सैन्य आधुनिकीकरण प्रक्रिया ने ताइवान की प्राकृतिक सुरक्षा को कमजोर करना शुरू कर दिया है. 2022 में ताइवान सरकार ने 'ड्रोन नेशनल टीम' पहल शुरू की, ताकि एक घरेलू ड्रोन उद्योग खड़ा किया जा सके जो युद्ध के दौरान भी निरंतर उत्पादन कर सके. ताइवान पहले से ही दुनिया के शीर्ष चिप निर्माता देशों में से एक है, जिसमें TSMC जैसी कंपनियां शामिल हैं.
चीनी ड्रोन से मुकाबले की चुनौतीताइवान की कंपनियां चीनी कंपनियों, विशेष रूप से DJI, से प्रतिस्पर्धा में पिछड़ रही थीं. लेकिन यूक्रेन-रूस युद्ध से ताइवान को यह प्रेरणा मिली कि ड्रोन युद्ध में निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं.
दोहरे उपयोग वाले ड्रोन और उत्पादन लक्ष्यरक्षा मंत्रालय और सरकारी संस्थान NCSIST मिलकर सैन्य ड्रोन बना रहे हैं. अर्थव्यवस्था मंत्रालय ने निजी कंपनियों के साथ मिलकर ‘डुअल-यूज ड्रोन’ (व्यावसायिक और सैन्य दोनों कामों के लिए) बनाने की योजना बनाई है. 2028 तक 15,000 डुअल-यूज ड्रोन हर महीने बनाने का लक्ष्य रखा गया है. फिलहाल 700 सैन्य ड्रोन और 3,422 डुअल-यूज ड्रोन के ऑर्डर दिए गए हैं. 2024 में अमेरिका से 1,000 ड्रोन का ऑर्डर और 2025 से 47,000 ड्रोन खरीदने की योजना बनाई गई है.
वर्तमान रणनीति में खामियांविशेषज्ञों का मानना है कि ताइवान की रणनीति अभी छोटे स्तर की है. यूएस नेवल इंस्टिट्यूट की रिपोर्ट के अनुसार, ड्रोन की वर्तमान संख्या सिर्फ शुरुआती हमलों में चार से पांच दिन टिक पाएगी. यूक्रेन 2025 तक हर महीने 2 लाख ड्रोन बनाने की योजना बना रहा है, जबकि ताइवान का सालाना लक्ष्य इतना ही है.
रणनीति में बदलाव की जरूरतड्रोन विशेषज्ञों के अनुसार, ताइवान को अपने पहाड़ी भूगोल और जंगलों का उपयोग करना चाहिए, जिससे दुश्मन को पीछे हटने पर मजबूर किया जा सके. ऑटेरियन कंपनी के CEO लोरेंज मियर ने कहा- “हिल्स से ड्रोन लॉन्च करना दुश्मन के लिए बेहद मुश्किल साबित हो सकता है.
राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमीइंजीनियर जैसन वांग का कहना है कि ताइवान में हार्डवेयर की क्षमता है, लेकिन युद्ध में ड्रोन की भूमिका, लॉजिस्टिक्स और वास्तविक उपयोग की समझ की कमी है. उनके अनुसार, “ताइवान के लिए युद्ध कौशल राजनीतिक इच्छाशक्ति पर निर्भर है, न कि क्षमता पर.”
सैन्य अनुभव की कमी और इतिहासताइवान ने 1958 के बाद चीन से कोई सीधा सैन्य युद्ध नहीं लड़ा है. चीन और ताइवान का टकराव 1940 के दशक से चला आ रहा है, जब च्यांग काई शेक चीन के गृहयुद्ध में हारकर ताइवान चले आए थे.
राजनयिक अलगाव और सहयोग की सीमाएंताइवान को आज सिर्फ 11 देश और वेटिकन ही आधिकारिक रूप से मान्यता देते हैं. अमेरिका ताइवान को सुरक्षा सहायता तो देता है, लेकिन सीधे युद्ध में हस्तक्षेप की कभी गारंटी नहीं दी है. संयुक्त सैन्य अभ्यास भी गैर-आधिकारिक रूप से होते हैं.
रक्षा बजट और राजनीतिक मतभेद2025 में ताइवान ने रक्षा बजट को GDP के 2.45% तक बढ़ाया है. राष्ट्रपति विलियम लाई इसे 3% तक ले जाना चाहते हैं, लेकिन विपक्षी KMT इसका विरोध कर रही है. DPP सरकार सैन्य शक्ति को लोकतंत्र की रक्षा का जरिया मानती है, जबकि KMT चीन से संबंध सुधारना चाहती है.