ताइवान ने हाल ही में अपने सबसे एडवांस मल्टीलेयर एयर डिफेंस सिस्टम टी-डोम का उद्घाटन किया है. इस सिस्टम को देश की सुरक्षा रणनीति का बड़ा हिस्सा माना जा रहा है. राष्ट्रपति लाई चिंग-ते ने बताया कि यह सिस्टम चीन की संभावित मिसाइल और हवाई हमलों से बचाव के लिए तैयार किया गया है.

Continues below advertisement

ताइपे के अनुसार, टी-डोम दुनिया के सबसे आधुनिक डिफेंस सिस्टमों में से एक होगा, जो न केवल बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइलों को रोकने में सक्षम है बल्कि स्टील्थ तकनीक वाले लड़ाकू विमानों को भी निशाना बना सकता है. यह कदम ऐसे समय पर आया है, जब चीन ताइवान के आस-पास अपने सैन्य अभ्यासों को बढ़ा रहा है.

टी-डोम सिस्टम का सबसे खास हिस्सा इसका सेंसर-टू-शूटर सिस्टम है. सीधे शब्दों में समझें तो इसका मतलब है कि जैसे ही कोई दुश्मन की मिसाइल या विमान ताइवान की सीमा में प्रवेश करेगा, यह सिस्टम तुरंत उसे पहचान लेगा और कुछ ही सेकंड में हमला करने वाले हथियारों को निर्देश भेज देगा. यानी सेंसर और मिसाइल सिस्टम के बीच का समय बेहद कम हो जाएगा.

Continues below advertisement

दुश्मन के ठिकानों पर जवाबी कार्रवाई करने का मौका

इस सिस्टम से ताइवान की सेना को दुश्मन के ठिकानों पर तुरंत जवाबी कार्रवाई करने का मौका मिलेगा. यह तकनीक दुनिया के कुछ ही देशों के पास मौजूद है और अब ताइवान भी इस सूची में शामिल हो गया है. रक्षा मंत्री वेलिंगटन कू ने बताया कि यह सिस्टम सभी मौजूदा डिफेंस सिस्टमों को एक साथ जोड़कर काम करेगा, जिससे सफलता की संभावना बढ़ जाएगी और संसाधनों का उपयोग बेहतर तरीके से किया जा सकेगा.

ताइवान की वजह से टेंशन में आ गया ड्रैगन

ताइवान के इस नए कदम से चीन की सुरक्षा रणनीति पर असर पड़ना तय माना जा रहा है. चीन लगातार दावा करता आया है कि ताइवान उसका हिस्सा है और वह किसी भी स्थिति में इसे अलग देश के रूप में स्वीकार नहीं करेगा. ऐसे में टी-डोम जैसे आधुनिक हथियार ताइवान की आत्मरक्षा को मजबूत करेंगे और चीन के लिए किसी सैन्य कार्रवाई की लागत बढ़ा देंगे.

ताइवान का रक्षा बजट और आधुनिक तकनीक

रक्षा मंत्री ने संसद में बताया कि टी-डोम प्रोजेक्ट के लिए एक विशेष बजट तैयार किया जा रहा है, जो साल के अंत में जारी किया जाएगा. इस बजट का इस्तेमाल सिस्टम की मारक क्षमता बढ़ाने और इसे अन्य रक्षा प्रणालियों से जोड़ने में किया जाएगा. ताइवान के पास पहले से अमेरिकी पैट्रियट मिसाइल, देश में बनी स्काई बो मिसाइल और स्टिंगर मिसाइलें हैं. इसके अलावा ताइवान चियांग-कांग नामक नई मिसाइल भी विकसित कर रहा है, जो ऊंचाई पर उड़ने वाली मिसाइलों को निशाना बना सकेगी. ताइवान को उम्मीद है कि अमेरिका से उसे THAAD सिस्टम भी मिल सकता है, लेकिन उसकी कीमत काफी अधिक है.

क्या टी-डोम चीन के लिए असली खतरा है?

यह सवाल अब हर जगह उठ रहा है कि क्या यह सिस्टम वाकई चीन के लिए खतरा साबित हो सकता है. रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि टी-डोम की सबसे बड़ी ताकत इसकी मल्टीलेयर यानी कई स्तरों वाली सुरक्षा है. इसका मतलब है कि अगर कोई मिसाइल पहली परत से बच भी जाए तो अगली परत उसे निशाना बना लेगी. इस तरह यह सिस्टम ताइवान की रक्षा को और भी मजबूत बनाता है.

साथ ही, स्टील्थ विमान जैसे चीन के J-20 फाइटर जेट को पकड़ना किसी भी देश के लिए मुश्किल होता है, लेकिन ताइवान का दावा है कि टी-डोम में ऐसे सेंसर लगाए गए हैं, जो इन विमानों को भी ट्रैक कर सकते हैं. अगर यह सच साबित हुआ तो चीन की एयर सुपीरियरिटी यानी हवाई बढ़त को ताइवान चुनौती दे सकता है.

 ये भी पढ़ें: भारत पर ट्रंप के टैरिफ को लेकर ऋषि सुनक बोले- ‘हर देश अपने राष्ट्रीय हितों को...’