भारत के साथ टकराव के बीच बांग्लादेश सरकार पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के प्रत्यर्पण के लिए चारों तरफ से जोर लगा रही है. न सिर्फ मोहम्मद यूनुस सरकार कानूनी एक्शन लेते हुए भारत के सामने अपनी मांग रखने की तैयारी कर रही है, बल्कि वह एक कानूनी एक्सपर्ट को भी लेकर आई है जो बांग्लादेश के कानूनी नियमों का हवाला देकर शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग कर रहे हैं.
द हिंदू से बात करते हुए मोहम्मद यूनुस ने कहा कि सरकार जल्द ही पूर्व प्रधानमंत्री के प्रत्यर्पण के लिए भारत सरकार से आधिकारिक तौर पर बात करेगी. हालांकि, उन्हें शेख हसीना की आवामी लीग पार्टी के चुनाव लड़ने पर कोई आपत्ति नहीं है. उधर, लॉ एक्सपर्ट टोबी कैडमैन ने कहा है कि उन्हें लगता है कि एक लोकतांत्रिक देश होने के नाते भारत बांग्लादेश की न्यायिक प्रक्रिया का पालन करेगा और शेख हसीना का प्रत्यर्पण करेगा.
टोबी टैडमैन इंटरनेशनल लेवल पर जाने-माने क्रिमिनल लॉ एक्सपर्ट हैं और बांग्लादेश में इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल (ICT) के चीफ प्रोसेक्यूटर के स्पेशल सलाहकार भी हैं. उन्होंने बुधवार (11 दिसंबर, 2024) को आईसीटी के चीफ प्रोसेक्यूटर ताजुल इस्लाम और दूसरे अधिकारियों से मुलाकात करने के बाद इस बात पर जोर दिया कि कानून का शासन बनाए रखना भारत की जिम्मेदारी है क्योंकि वह एक लोकतांत्रिक देश है. अगर बांग्लादेश उनसे आग्रह करता है तो उन्हें उसका सम्मान करते हुए शेख हसीना को वापस भेज देना चाहिए.
कैडमैन ने यह भी बताया कि अगर भारत शेख हसीना को प्रत्यर्पित नहीं करता है तो फिर बांग्लादेश के पास क्या-क्या रास्ते हैं. उन्होंने कहा कि आरोप तय होने के बाद अगर भारत अनुरोध को खारिज कर देता है तो बांग्लादेश शेख हसीना की अनुपस्थिति में कार्रवाई के लिए अंतरराष्ट्रीय कानूनों का सहारा ले सकता है और इसके लिए वह इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट (ICC) से भी मदद ले सकता है.
पांच अगस्त को बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद शेख हसीना प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देकर भारत आ गई थीं. उन पर बांग्लादेश में हत्या, हत्या के प्रयास, नरसंहार, किडनैपिंग, मानवता के खिलाफ अपराध और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के जुलूस पर हमले समेत सैकड़ों केस दर्ज हैं. अगस्त से वह भारत में ही रह रही हैं.
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