अमेरिका को झटका देते हुए रूस ने दुनिया के सबसे शक्तिशाली न्यूक्लियर पावर्ड अंडरवाटर टॉरपीडो पोसाइडन का सफल परीक्षण किया. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इसे बड़ी उपलब्धि बताया. उन्होंने कहा कि रूस ने 28 अक्टूबर को आर्कटिक महासागर में अंडरवाटर ड्रोन 'पोसाइडन' का सफल टेस्ट किया, जो न्यूक्लियर यूनिट से लैस है.

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7 दिनों के भीतर रूस का दूसरा सफल परीक्षण

पुतिन ने दावा किया कि पोसाइडन की पावर रूस के सबसे बड़े ICBM सारमत से भी काफी ज्यादा है और दुनिया का कोई हथियार इसे मात नहीं दे सकता है. पुतिन के अनुसार रूस ने पोसाइडन को न सिर्फ कैरियर सबमरीन से लॉन्च किया, बल्कि इसकी न्यूक्लियर यूनिट भी चालू की. पिछले सात दिनों में रूस यह दूसरा ऐसा परीक्षण है. पुतिन ने रविवार (26 अक्तूबर 2025) को असीमित दूरी वाले ब्यूरेवेस्तनिक क्रूज मिसाइल के सफल परीक्षण के बारे में बताया था.

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ट्रंप की चेतावनी के बाद भी नहीं माने पुतिन

रूस का यह परीक्षण इस बात का संकेत माना जा रहा है कि मॉस्को यूक्रेन युद्ध को लेकर पश्चिमी देशों के दवाब के आगे नहीं झुकेगा. ट्रंप ने रूस की ओर से 26 अक्तूबर को किए गए परीक्षण को लेकर कहा था, 'उन्हें यूक्रेन में युद्ध समाप्त करवाना चाहिए था. जिस युद्ध को एक हफ्ते में खत्म होना चाहिए था, उसके अब चार साल होने के हैं. मिसाइलों का परीक्षण करने के बजाय उन्हें (रूस) युद्ध खत्म करने पर फोकस करना चाहिए था.'

पोसाइडन क्या है? 

पोसाइडन एक अत्याधुनिक हथियार है, जो परमाणु ऊर्जा से लैस है और पानी के अंदर से लॉन्च होता है. इसे टॉरपीडो की कैटेगरी में रखा जाता है, जो दुश्मन के जहाज या तट पर हमला करने में सक्षम है. यह स्वचालित ड्रोन है, जिसे रूस इंटरकॉन्टिनेंटल न्यूक्लियर टॉरपीडो कहता है. इसका वजन 100 टन, लंबाई 20 मीटर और स्पीड 100 नॉट्स है. ड्रोन समुद्र के भीतर से तटीय शहरों को तबाह कर सकता है.

टेंशन में आए US-ब्रिटेन

पोसाइडन की असीमित रेंज और समुद्री लॉन्च के कारण दुनिया का कोई भी तटीय देश इसके निशाने पर हो सकता है. अमेरिका का न्यूयॉर्क, वॉशिंगटन, लॉस एंजिल्स, सैन फ्रांसिस्को इसके टारगेट हो सकते हैं. इसके अलावा ब्रिटेन का पोर्ट्समाउथ और लंदन और फ्रांस, जापान के कई शहर भी इसके रेंज में हैं.

ब्यूरेवेस्तनिक क्रूज मिसाइल के परीक्षण के बाद पुतिन ने कहा था कि इसकी रेंज अनलिमिटेड है और इसे जल्द ही तैनात किया जाएगा. यूएस एयरफोर्स इंटेलिजेंस सेंटर ने कहा था कि अगर रूस इसे तैनात करता है तो यह यूनिक इंटरकॉन्टिनेंटल वेपन होगा.