यूक्रेन पर हमले के बाद रूस पर दुनिया का प्रतिबंध बढ़ाता जा रहा है. अमेरिका और यूरोपीय देशों ने एक बार फिर उसपर नई पाबंदियों की लिस्ट जारी कर दी है. लेकिन इन प्रतिबंधों का रूस पर कोई असर नहीं हो रहा है और यूक्रेन पर उसका हमला जारी है. रूस पर जो ताजा प्रतिबंध लगे हैं वो इस प्रकार हैं...
- अमेरिका ने रूस के चार सबसे बड़े बैंक प्रतिबंधित किए- 10 सबसे बड़ी वित्तीय संस्थाओं पर पाबंदी- रूस के कई बड़े घरानों पर शिकंजा कसा-निर्यात पर नियंत्रण लागू किया गया
दुनिया की तमाम पाबंदियों के बाद भी रूस यूक्रेन पर न तो हमले से पीछे हटा और न ही अब वो हमला बंद कर रहा है. जाहिर है कि रूस पूरी तैयारी के साथ उतरा है, क्योंकि 2014 में क्रीमिया पर हमले के बाद जब रूस पर पाबंदियां लगी तभी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन समझ गए थे कि जंग में कूदने के लिए पहले खजाना भरना जरूरी है और आज रूस का फॉरेन रिजर्व बता रहा है कि वह मजबूत है.
देश विदेशी मुद्रा भंडार
चीन 3400 बिलियन डॉलरजापान 1400 बिलियन डॉलरस्विटजरलैंड 1000 बिलियन डॉलररूस 640 बिलियन डॉलरअमेरिका 250 बिलियन डॉलर
पुतिन ने देश का विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ाने के साथ ही अपनी अर्थव्यवस्था को इस तरह से मोड़ दिया है कि उस पर प्रतिबंधों का असर कम से कम होगा.
प्रतिबंध से निपटने की रूस की तैयारी
-डॉलर का इस्तेमाल बेहद कम कर दिया है-डॉलर के बदले रूस ने सोने का इस्तेमाल बढ़ाया-खर्च को कच्चेे तेल की आमदमी के बराबर लाया गया-क्रूड 44 डॉलर प्रति बैरल बिके तो भी रूस का खर्च चलेगा (अभी दाम 100 डॉलर)-रूस दुनिया की सबसे कम कर्जदार देशों की लिस्ट में है-अर्थव्यवस्था में डिजिटल करेंसी को जबरदस्त ढंग से बढ़ाया-क्रिप्टो करेंसी का बड़ा खजाना इकट्ठा किया
पुतिन ने 2014 के बाद से ही डॉलर का इस्तेमाल बेहद कम कर दिया था और उसके बदले सोने का इस्तेमाल बढ़ाया. इसके अलावा खर्च को कच्चे तेल से होने वाली आमदनी के बराबर लाया गया. आज हालत ये है कि अगर क्रूड 44 डॉलर प्रति बैरल बिके तो भी रूस का खर्च चलता रहेगा. यही नहीं रूस इस वक्त दुनिया के सबसे कम कर्जदार देशों में शामिल है. इसके साथ ही रूस ने अर्थव्यवस्था में डिजिटल करेंसी को जबरदस्त ढंग से बढ़ावा दिया और क्रिप्टो करेंसी का भी बड़ा खजाना इकट्ठा किया. इसका असर ये है अब रूस को प्रतिबंधों की कोई फिक्र ही नहीं है.
रूस ने अंतरराष्ट्रीय पाबंदियों से निपटने की तैयारी के बाद यूक्रेन पर हमला बोला है. अब सवाल ये है कि रूस कैसे रुकेगा. सबसे पहले तो रूस की शर्तों को जान लेते हैं.
1- यूक्रेन के NATO का सदस्य नहीं बनने की गारंटी मिले2- यूक्रेन 1990 के समझौते का पालन करे3- यूक्रेन हथियार मुक्त किया जाए4-क्रीमिया को रूस का हिस्सा माना जाए5-NATO पूर्वी यूरोप में अपनी सैन्य गतिविधियां छोड़े
ये पुतिन की शर्तें जरूर है, लेकिन बातचीत शुरू होने पर ये सभी माने जाने की संभावना नहीं है. ऐसे में बीच का रास्ता निकल सकता है.
अब कैसे रुक सकती है जंग?
-यूक्रेन की मौजूद सरकार गिर जाए -पुतिन की कठपुतली सरकार बन जाए-यूक्रेन NATO में शामिल न होने की गारंटी दे-NATO यूक्रेन को सदस्य न बनाने की गारंटी दें-1962 के क्यूबा संकट में अमेरिका ने क्यूब पर हमला न करने का वादा किया था-यूक्रेन को फिनलैंड मॉडल पर गुटनिरपेक्ष बनाया जाए-पुतिन यूक्रेन के फिनलैंड मॉडल को नकार चुके हैं-युद्ध के बाद यूक्रेन विभाजित भी हो सकता है
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