अमेरिका अपने F-35 लाइटनिंग-II को दुनिया का सबसे एडवांस फाइटर जेट बताता है, लेकिन इसकी कीमत और सीमित निर्यात नीतियां इसे कई देशों के लिए चुनौतीपूर्ण बना देती हैं. दूसरी ओर, रूस का Su-57M1E,  जो कि Su-57 का वर्जन है. ग्लोबल डिफेंस मार्केट में धूम मचाने लगा है. खबर है कि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन अपनी भारत यात्रा के दौरान पीएम मोदी को यह जेट टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के साथ ऑफर कर सकते हैं.

अगर ऐसा होता है तो यह भारत की वायुसेना के लिए F-35 का एक किफायती विकल्प बन सकता है. वहीं रूस का Su-57M1E सिर्फ़ एक फाइटर जेट नहीं बल्कि मल्टीरोल स्टेल्थ जेट है. इसकी खासियतें इसे F-35 के बराबर खड़ा करती हैं. इसकी स्पीड Mach 2 (2,450 किमी/घंटा) है और बिना रिफ्यूलिंग 3,500 किमी तक की उड़ान भर सकता है. ये सुपर-क्रूज़ क्षमता से लैस है. बिना आफ्टरबर्नर सुपरसोनिक उड़ान, जिससे स्टेल्थ बरकरार रहता है.

Su-57 में N036 बायल्का AESA रडार और L-बैंड रडार है, जो दुश्मन के स्टेल्थ विमानों को भी पकड़ सकते हैं. थ्रस्ट वेक्टरिंग इंजन इसे ज्यादा सटीकता देते हैं, जिसे और हवाई लड़ाई में बढ़त मिलती है. इसमें 12 हार्डपॉइंट 6 इंटरनल है, जिससे यह अलग-अलग मिसाइल और बम छिपाकर ले जा सकता है और स्टेल्थ बनाए रखता है. इन खूबियों की वजह से Su-57M1E को सिर्फ़ F-35 का सस्ता विकल्प नहीं बल्कि एक प्रीमियम कॉम्बैट पैकेज माना जा रहा है.

Su-57M1E की कीमत और F-35 से तुलना

Su-57M1E कीमत: 35–40 मिलियन डॉलर प्रति यूनिट (लगभग ₹352 करोड़).

F-35 कीमत: लगभग 70 मिलियन डॉलर (₹700 करोड़).

यानी Su-57M1E की कीमत F-35 की आधी है. सबसे महत्वपूर्ण बात – रूस भारत को इसका सोर्स कोड और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर देने को तैयार है. इसका मतलब भारत इसे अपनी जरूरतों के हिसाब से कस्टमाइज कर सकेगा, जो अमेरिका आमतौर पर अपने जेट्स के साथ नहीं करता.

भारत के पास क्या विकल्प हैं?

इस वक्त Su-30MKI भारतीय वायुसेना की रीढ़ है. भारत के पास राफेल, जो फ्रांस से खरीदा गया आधुनिक जेट है, लेकिन सीमित संख्या में. तेजस Mk-II स्वदेशी है, लेकिन अभी डेवलपिंग स्टेज में है. AMCA (Advanced Medium Combat Aircraft) भारत का अपना पांचवीं पीढ़ी का स्टेल्थ जेट, लेकिन चुनौती यह है कि इसका प्रोटोटाइप 2035 तक ही उड़ान भर पाएगा. ठीक इस पर Su-57M1E एक विकल्प बनकर आता है. भारत के पास यह मौका है कि वह 2035 तक AMCA के तैयार होने से पहले Su-57M1E के जरिए अपनी वायुसेना को 5th जनरेशन क्षमता से लैस कर सके.

भारत की दुविधा

अगर भारत Su-57M1E लेता है तो उसे तुरंत 5th जनरेशन जेट मिल जाएगा, लेकिन इसके साथ जोखिम भी हैं, जैसे रूस पर अत्यधिक निर्भरता ज्यादा करना पड़ेगा. पश्चिमी देशों (अमेरिका सहित) के साथ रणनीतिक संबंधों पर असर. भारत के AMCA प्रोजेक्ट की प्राथमिकता और फंडिंग पर असर पड़ सकता है. दूसरी ओर, AMCA का इंतज़ार करना भारत को पूरी तरह स्वदेशी और राजनीतिक स्वतंत्रता देगा, लेकिन इसमें समय और भारी निवेश लगेगा.

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