अमेरिका में अब हर गैर-अमेरिकी नागरिक की एंट्री और एग्जिट (आवागमन) के समय फोटो ली जाएगी. यह कदम डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन की इमिग्रेशन नीति का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य है राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करना और अवैध प्रवास पर नियंत्रण पाना. अमेरिकी सीमा शुल्क और सीमा सुरक्षा एजेंसी ने यह प्रस्ताव शुक्रवार को फेडरल रजिस्टर में जारी किया.

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हर विदेशी की तस्वीर होगी अनिवार्यनई नीति के तहत अमेरिका में प्रवेश करने या देश छोड़ने वाले हर गैर-नागरिक की तस्वीर ली जाएगी. इसमें ग्रीन कार्ड धारक, वीजा पर आए विदेशी, और अवैध रूप से मौजूद प्रवासी- सभी शामिल होंगे. CBP का कहना है कि यह कदम फर्जी यात्रा दस्तावेजों और आतंकी खतरों से निपटने के लिए जरूरी है. एजेंसी के अनुसार, यात्रियों की बायोमेट्रिक जानकारी (फोटो और फिंगरप्रिंट) को प्रवेश और निकास दोनों समय मिलान किया जाएगा, ताकि यह पता लगाया जा सके कि कोई व्यक्ति वीजा अवधि से अधिक तो नहीं ठहर रहा.

तकनीक से मजबूत होगी सीमा सुरक्षाCBP ने कहा कि अब चेहरा पहचानने वाली तकनीक पहले से कहीं ज्यादा सटीक और तेज हो गई है, जिससे यह सिस्टम प्रभावी ढंग से लागू किया जा सकेगा.इस तकनीक के जरिए एजेंसी यात्रियों की फोटो गैलरी तैयार करेगी, जिसमें पासपोर्ट, यात्रा दस्तावेज या सीमा पर खींची गई तस्वीरें शामिल होंगी. इन्हें वास्तविक समय में ली गई नई तस्वीरों से मिलाया जाएगा ताकि पहचान की पुष्टि हो सके.

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नियम 26 दिसंबर 2025 से होंगे लागूनई व्यवस्था 26 दिसंबर 2025 से लागू होगी. इसके बाद, सीमा अधिकारी किसी भी विदेशी नागरिक की तस्वीर देश से निकलते समय ले सकेंगे और जरूरत पड़ने पर अतिरिक्त बायोमेट्रिक डेटा भी इकट्ठा कर सकेंगे. अब तक यह नियम 14 साल से कम उम्र के बच्चों और 79 साल से अधिक उम्र के लोगों पर लागू नहीं होता था, लेकिन अब इन छूट प्राप्त समूहों को भी शामिल किया जाएगा.

हवाई अड्डों पर पहले से चल रही है तैयारीअमेरिकी ट्रांसपोर्ट सिक्योरिटी एडमिनिस्ट्रेशन (TSA) पहले ही कुछ हवाई अड्डों पर फेस रिकग्निशन तकनीक का इस्तेमाल कर रही है. वहीं CBP पहले से ही फिंगरप्रिंट और फोटो लेती है, लेकिन अब यह प्रक्रिया हर बार देश छोड़ने पर भी अनिवार्य होगी.

अवैध ठहराव और फर्जी पहचान पर रोकट्रंप प्रशासन का मानना है कि इस सिस्टम से वीजा अवधि पार करने वाले विदेशी, झूठी पहचान का उपयोग करने वाले, और इमिग्रेशन नियमों से बचने की कोशिश करने वालों की पहचान करना आसान होगा. CBP ने माना कि बिना सुरक्षित 'एग्जिट लेन' वाले पोर्ट्स पर यह प्रणाली लागू करना चुनौतीपूर्ण होगा, लेकिन आधुनिक तकनीक से अब यह संभव हो पाया है. CBP का अनुमान है कि अगले 3 से 5 वर्षों में यह सिस्टम देशभर में पूरी तरह लागू हो जाएगा. 27 अक्टूबर से इस प्रस्ताव पर सार्वजनिक राय की प्रक्रिया शुरू होने की उम्मीद है.