FATF Grey List: दुनिया में आतंकवाद की आर्थिक रसद पर नकेल कसने वाली सर्वोच्च संस्था FATF की परीक्षा पास करने में पाकिस्तान एक बार फिर फेल हो गया. आतंकी सरगनाओं और खासकर यूएन लिस्ट में मौजूद आतंकियों पर ठोस कार्रवाई जैसे सवालों पर नाकामी के चलते FATF ने पाकिस्तान को अतिरिक्त निगरानी वाली ग्रे लिस्ट में रखने का फैसला लिया है. बड़ी बात यह है कि कश्मीर पर पाकिस्तान का साथ देने वाले तुर्की को भी निगरानी सूची में डाल दिया गया है.


पेरिस में हुई FATF की प्लेनेरी बैठक के बाद मीडिया से रूबरू हुआ संगठन के अध्यक्ष मार्कस प्लेयर ने कहा कि पाकिस्तान को 2018 और 2021 में तय एक्शन प्लान के 34 बिंदुओं पर आंका गया. पाकिस्तान ने 2018 के एक्शन प्लान में तय 27 में से 26 पर प्रगति दिखाई है. लेकिन जिस एक बिंदु पर उसे अभी भी ठोस कार्रवाई के सबूत देना हैं उसमें यूएन लिस्ट में मौजूद आतंकियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई और उनकी आर्थिक रसद रोकने के प्रमाण दिखाना बाकी है. इसके अलावा मनी लॉन्ड्रिंग के मुद्दे पर तय कुछ कार्य बिंदुओं पर भी कदम अभी उठाना है.


एफएटीएफ प्रमुख ने पाकिस्तान की तरफ से उठ रहे उन सवालों का भी जवाब दिया जिनमें इन फैसलों के पीछे राजनीति को लेकर उंगलियां उठाई जा रही थी. प्लेयर ने कहा कि FATF एक तकनीकी संगठन है जो निर्धारित पहलुओं के आधार पर आकलन करता है. पाकिस्तान को ग्रे-लिस्ट में बरकरार रखने का फैसला सर्व सम्मति से ही लिया गया है. हालांकि एफएटीएफ पाकिस्तान को प्रोत्साहित करता है कि वो सभी बिंदुओं पर प्रगति दर्ज करे. 


क्या हैं मायने?


ध्यान रहे कि पाकिस्तान 2018 से FATF की उस ग्रे लिस्ट में है जहां किसी भी देश के आर्थिक तंत्र को टेरर फाइनेंसिंग और मनी लॉन्ड्रिंग के मामले पर आकलन के बाद अपने सुधार का रिपोर्ट कार्ड दिखाना होता है. ऐसा न करने पर उसके लिए अंतरराष्ट्रीय वित्तीय तंत्र से सुविधाएं हासिल करना मुश्किल होता है.


पाकिस्तान ने जून 2018 में मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद की आर्थिक रसद के खिलाफ ठोस कार्रवाई के सुधार लागू करने का उच्च स्तरीय वादा FATF को दिया था. हालांकि 2018 की कार्य योजना में पाकिस्तान जहां अब भी यूएन लिस्ट में मौजूद हाफिज सईद, मसूद अजहर जैसे आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई के सबूत दिखाने में फेल हुआ है. वहीं 2019 में एशिया प्रशांत समूह ने आकलन कर पाकिस्तान से जून 2021 में मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े कुछ और सुधारों पर भी कार्रवाई दिखाने को कहा था. 


इनके तहत पाकिस्तान को जहां आतंकवाद के फाइनेंसिंग नेटवर्क को रोकने के लिए जरूरी कानूनी सुधार करने की जरूरत जताई गई है. वही जांच और कार्रवाई के आधार पर यूनए प्रतिबंध सूची में नए आतंकियों को नाम जोड़ने के प्रस्तावों की भी अपेक्षा जताई गई है. इसके अलावा भारत पाकिस्तान को चिह्नित गैर-बैंकिंग वित्तीय कारोबार और पेशों पर अधिक निगरानी बढ़ाने को भी कहा गया है. 


जाहिर तौर पर FATF की ग्रे-लिस्ट में बीते तीन सालों से बरकरार मौजूदगी पाकिस्तान की आर्थिक मुश्किलें बढ़ा रही है. इसका असर पाकिस्तान में बढ़ती कमर तोड़ महंगाई के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से पैसे हासिल करने में आ रही मुश्किलों की शक्ल में नजर आ रहा है. 


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