पाकिस्तान ने भारत की नौसेना से मुकाबला करने के लिए चीन से Z-9EC अटैक हेलीकॉप्टर खरीदे थे. इन हार्बिन हेलीकॉप्टर्स को पाकिस्तानी नौसेना की जुल्फिकार सीरीज की फ्रिगेट्स पर तैनात कर दिया था. इतना ही नहीं पाकिस्तान ने इन हेलीकॉप्टर्स में पल्स कम्प्रेशन रडार, कम आवृत्ति सोनार, डॉपलर नेविगेशन सिस्टम और रडार अलर्ट रिसीवर जैसे एडवांस सिस्टम भी जोड़े ताकि भारत के साथ सामरिक संतुलन बनाया जा सके. हालांकि, इन चीनी हेलीकॉप्टर्स ने पाकिस्तान की सभी उम्मीदों पर पानी फेर दिया.
ये चीनी हेलीकॉप्टर अब पाकिस्तान के फील्ड मार्शल आसिम मुनीर के लिए ही सिरदर्द बन गए हैं. अब ये हेलीकॉप्टर उड़ान भर पाने में भी सक्षम नहीं हैं. Z-9EC की सबसे गंभीर समस्या इसका टेल रोटर ब्लेड है, जिसमें तकनीकी खामी सामने आई है. यह हिस्सा हेलीकॉप्टर की डायरेक्शन कंट्रोल करता है और इसकी खराबी से पूरा एयरक्राफ्ट अन कंट्रोल हो सकता है. युद्ध जैसे तनावपूर्ण वातावरण में यह समस्या सीधे चालक दल की जान को खतरे में डालती है.
चीनी सामान पर कितना भरोसा करेगा पाकिस्तान?
डिफेसा ऑनलाइन की रिपोर्ट के अनुसार, मुख्य रोटर ब्लेड की आयु लगभग 3000 घंटे मानी जाती है, लेकिन समुद्री वातावरण में कई ब्लेड बहुत पहले ही जंक खा गए, जिससे उनकी समयसीमा खत्म होने से पहले ही उन्हें बदलना पड़ा. यह रोटर सिस्टम की विश्वसनीयता पर सवाल उठाता है. वैसे भी किसी चीनी सामान पर कब तक भरोसा किया जा सकता है?
टायर फटने की घटनाएं भी आई थीं सामने
2018–2019 के बीच लैंडिंग के समय टायर फटने की कई घटनाएं सामने आईं. इसके लिए ब्रेक डिस्ट्रीब्यूशन वाल्व को जिम्मेदार माना गया. इसका मतलब है कि पाकिस्तान के पनडुब्बी रोधी हेलीकॉप्टर न केवल हवा में बल्कि जमीन पर भी सुरक्षित नहीं हैं.
चीन ने किया था हेलीकॉप्टर्स के रखरखाव का वादा
साल 2006 में जब पाकिस्तान ने चीन से ये हेलीकॉप्टर खरीदे थे तो चीन की तरफ से हेलीकॉप्टरों की आपूर्ति के साथ-साथ उन्हें बनाए रखने की जिम्मेदारी भी निभाने का वादा किया गया था, लेकिन जमीनी हालात कुछ और ही हैं. मेहरान नौसैनिक अड्डे पर बनाए गए विशेष रखरखाव केंद्र के बावजूद, हेलीकॉप्टर्स की मरम्मत और पुर्जों की आपूर्ति में गंभीर समस्याएं बनी हुई हैं. इसके अलावा और भी अन्य कारण है, जिनकी वजह से इन हेलीकॉप्टर्स को रखना पाकिस्तान के लिए मुश्किल होता जा रहा है, जैसे-
- स्पेयर पार्ट्स की समय पर सप्लाई नहीं होना.
- मरम्मत प्रक्रियाओं में तकनीकी जटिलताएं.
- प्रशिक्षित चीनी इंजीनियरों की सीमित उपलब्धता
भारत के पास हैं शानदार अटैक हेलीकॉप्टर
पाकिस्तान ने Z-9EC को एक सामरिक कार्ड के रूप में देखा था, लेकिन रक्षा विश्लेषकों का मानना है कि इन हेलीकॉप्टरों की असफलता से भारत की सामरिक स्थिति पर कोई खास असर नहीं पड़ा है. भारत के पास पहले से ही बेहतर पनडुब्बी रोधी क्षमताएं मौजूद हैं, जैसे P-8I Poseidon एयरक्राफ्ट और HAL Dhruv आधारित ASW सिस्टम.
ये भी पढ़ें: दुनिया के सबसे बड़े मुस्लिम देश ने तुर्किए से खरीदे 5वीं पीढ़ी के 48 फाइटर जेट, जानें क्या है KAAN की खासियत?