पाकिस्तान की नेशनल असेंबली के सचिवालय ने प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ शनिवार सुबह साढ़े दस बजे अविश्वास प्रस्ताव को लेकर सत्र आयोजित करने का आदेश जारी किया है. यह ऐसे समय में आया है, जब पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को डिप्टी स्पीकर के उस फैसले को पलट दिया था, जिसमें इमरान खान सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को खारिज किया गया था.


सुप्रीम कोर्ट ने अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग के लिए नेशनल असेंबली का 10:30 बजे सत्र आयोजित करने का निर्देश दिया था. अदालत ने अविश्वास मत खारिज किए जाने के बाद के उठाए गए सभी कदमों को रद्द कर दिया. साथ ही नेशनल असेंबली को बहाल कर दिया. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार नेशनल असेंबली अध्यक्ष वर्तमान सत्र में विधानसभा की बैठक बुलाने और आयोजित करने के लिए कर्तव्य के अधीन है. 


शीर्ष अदालत ने फैसला सुनाते हुए कहा कि अविश्वास प्रस्ताव पर नेशनल असेंबली का सत्र शनिवार को होना चाहिए और प्रस्ताव पर मतदान होने तक इसे स्थगित नहीं किया जाना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर अविश्वास प्रस्ताव के परिणामस्वरूप इमरान खान को हटाया जाता है तो उसी सत्र में सदन के नए नेता का चुनाव किया जाना चाहिए. 


प्रधानमंत्री खान को सत्ता से हटाने के लिए विपक्षी दलों को 342 सदस्यीय सदन में 172 सदस्यों की आवश्यकता है और पहले से ही उन्होंने जरूरत से ज्यादा संख्या बल दिखाया है. अब खान के सामने पाकिस्तान के इतिहास में पहला ऐसा प्रधानमंत्री होने की संभावना है, जिन्हें अविश्वास प्रस्ताव से बाहर किया जा सकता है. क्रिकेटर से नेता बने 69 वर्षीय खान 'नया पाकिस्तान' बनाने के वादे के साथ 2018 में सत्ता में आए थे, लेकिन जरूरी वस्तुओं की कीमतों को नियंत्रण में रखने की बुनियादी समस्या को दूर करने में बुरी तरह विफल रहे. नेशनल असेंबली का वर्तमान कार्यकाल अगस्त, 2023 में समाप्त होना था.


कोई भी पाकिस्तानी प्रधानमंत्री अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर सका है. शीर्ष अदालत के फैसले से पहले उच्चतम न्यायालय के अंदर और आसपास सुरक्षा कड़ी कर दी गई थी. खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी से जुड़े सूरी ने तीन अप्रैल को खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को खारिज कर दिया था. सूरी ने दावा किया था कि यह सरकार को गिराने के लिए ‘‘विदेशी साजिश’’ से जुड़ा है और इसलिए यह विचार के योग्य नहीं है. अविश्वास प्रस्ताव खारिज किये जाने के कुछ देर बाद, राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने प्रधानमंत्री खान की सलाह पर नेशनल असेंबली को भंग कर दिया था.


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