ऑपरेशन सिंदूर में भारत की ओर से पाकिस्तान में स्थित 9 आतंकी अड्डों को तबाह करने के बाद अब पाकिस्तान ने नई चाल चली है और 2019 में बालाकोट स्ट्राइक के बाद से बंद पड़े लश्कर ए तैयबा के दो आतंकी कैम्प अब्दुल्ला बिन मसूद और चेला बंदी को फिर से सक्रिय कर दिया है और आतंक का संचालन भी इन दोनों कैम्प में शुरू कर दिया गया है.
पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के मुजफ्फराबाद के सिरीकोट में स्थित आतंकी संगठन लश्कर के तैयबा के अब्दुल्लाह बिन मसूद लांच कैम्प में जून से ही लगातार हलचल और आतंकियों का आना-जाना देखा जा रहा है. साथ ही लश्कर ए तैयबा ने यहां अपने आतंकियों के रहने के लिए भी चार छोटे-छोटे नए टीन के टेम्परेरी स्ट्रक्चर बनाए हैं और एक नया वॉच टावर भी बनाया है, जिनकी पुष्टि सैटेलाइट तस्वीरों से भी हो रही है.
पुराने लांचिंग पैड को कर रहा एक्टिव
जून से लगातार खुफिया एजेंसियों के पास इनपुट आ रहा था कि लश्कर ए तैयबा ऑपरेशन सिंदूर के बाद से अपने सबसे पुराने लांचिंग पैड मुजफ्फराबाद के सिरीकोट स्थित अब्दुल्ला बिन मसूद को एक्टिवेट कर रहा है. जून की तस्वीरों में साफ दिखाई दिया कि लश्कर ए तैयबा ने इस लांचिंग पैड पर एक वॉच टावर का निर्माण करवाया है, जो अब तक यहां नहीं था.
चिंग पैड पर चार नए टीन के स्ट्रक्चर
इसके अलावा जुलाई के महीने में आई तस्वीरों में दिखायी दिया कि लश्कर ए तैयबा ने अपने इस लांचिंग पैड पर चार छोटे-छोटे नए टीन के टेम्पररी स्ट्रक्चर भी बनवाये हैं, जिनका उपयोग आतंकियों के रहने के लिए किया जाना है. ये चारों स्ट्रक्चर अब तक अब्दुल्ला बिन मसूद कैम्प पर नहीं थे और अब्दुल्ला बिन मसूद कैम्प में सिर्फ एक बड़ा सा हॉल था, जहां पर आतंकियों को लांच करने से पहले उनके रहने की व्यवस्था थी.
जहां हाल में आतंकी रहते थे और नमाज पढ़ते थे, अब इसी हाल के पड़ोस में चार नए रहने के छोटे टेम्पररी स्ट्रक्चर बनाये गए हैं. इसके अलावा एक बड़ा सा 2 मंजिल का वॉच टावर भी कैम्प पर बनाया गया, जिसमें ऊपर की तरफ कैम्प की पहरेदारी करने और रहने की व्यवस्था है और नीचे में भी रहने की व्यवस्था है.
खुफिया एजेंसियों के हाथ लगी ये तस्वीर
मुजफ्फराबाद के सिरीकोट में स्थित अब्दुल्ला बिन मसूद लांचिंग कैम्प का सारा कामकाज 2019 तक पाकिस्तान के कराची में रहने वाला ग़ाजी अबू उस्मान देखता था, लेकिन कैम्प बंद होने के बाद पिछले 6 सालों से गाजी अबू उस्मान कराची में रह रहा था. इसी महीने खुफिया एजेंसियों के हाथ तस्वीर लगी है, जिसके गाजी अबू उस्मान ना सिर्फ अब्दुल्ला बिन मसूद कैम्प में बैठा हुआ है, बल्कि लश्कर ए तैयबा के 3 प्रशिक्षित आतंकियों के साथ घूम भी रहा है.
इतना ही नहीं, इसी महीने 7 जुलाई को लश्कर ए तैयबा के बहावलपुर मरकज का प्रमुख सैफुल्लाह सैफ, अमेरिका की ओर से घोषित वैश्विक आतंकी और कराची शहर में लश्कर ए तैयबा का प्रमुख मुजम्मिल हाशमी, हिजबुल मुजाहिदीन का टॉप कमांडर अबू सुहैब कश्मीरी, सैफुल्लाह सैफ का सेक्रेटरी मोहम्मद माज़ सहित अन्य 5 लोगों ने अब्दुल्ला बिन मसूद ट्रेनिंग कैम्प का दौरा भी किया था.
दोनों ग्रुप मिलकर फैलाएंगे आतंक
कैम्प पर पहुंचने से पहले इस पूरे ग्रुप ने रास्ते में पड़ने वाले दुलाई वॉटरफॉल पर तस्वीर भी ली थी, जिसके बाद ये सभी लोग अब्दुल्ला बिन मसूद कैम्प गए थे और जहां तकरीबन 4 घंटे ये सभी लोग रुके थे. सूत्रों के मुताबिक, लश्कर ए तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन ने तय किया है कि अब से अब्दुल्ला बिन मसूद लांचिंग कैम्प का लश्कर ए तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन दोनों मिलकर संचालन करेंगे.
साथ ही हिजबुल मुजाहिदीन के टॉप कमांडर अबू सुहैब कश्मीरी को अब्दुल्ला बिन मसूद कैम्प का प्रमुख बनाया गया है, जो लश्कर ए तैयबा के पूरे ग्रुप को मुजफ्फराबाद शहर से अब्दुल्ला बिन मसूद कैम्प तक लेकर आया था. सिर्फ अब्दुल्ला बिन मसूद कैम्प नहीं, बल्कि लश्कर ए तैयबा ने मुजफ्फराबाद के चेला बंदी ट्रेनिंग कैम्प को भी फिर से सक्रिय कर दिया है. साथ ही चार शूटिंग रेंज और 2 हेलीपैड वाले इस ट्रेनिंग कैम्प में लश्कर ए तैयबा के आतंकी ट्रेनिंग करने के साथ-साथ रहेंगे.
आतंकी पाकिस्तानी सेना की मदद से लेते थे ट्रेनिंग
बताते चलें कि साल 2019 की बालाकोट स्ट्राइक से पहले इस ट्रेनिंग कैम्प में लश्कर ए तैयबा के आतंकी पाकिस्तानी सेना की मदद से ना सिर्फ ट्रेनिंग हासिल करते थे, बल्कि रहते भी थे. बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद लश्कर ए तैयबा ने 3 किलोमीटर दूर चेला बंदी पुल के पास स्थित शवाई नाला कैम्प में आतंकियों के रहने की व्यवस्था की थी, जहां से उन्हें भारत में हमला करवाने के लिए लांच किया जाता था और उस छोटे से कैम्प को बड़ा आकार भी दिया था.
भारत की 7 मई की स्ट्राइक में शवाई नाला कैम्प पूरी तरह से ध्वस्त हो गया है. ऐसे में सूत्रों के मुताबिक, लश्कर ए तैयबा और ISI की नई व्यवस्था के मुताबिक अब लश्कर ए तैयबा आतंकी ना सिर्फ चेला बंदी कैम्प में पाकिस्तानी सेना की देखरेख में ट्रेनिंग करेंगे, बल्कि वहां मौजूद टेम्पररी स्ट्रक्चर में भी रहेंगे.
लश्कर का सबसे पुराना कमांडर अबू मुआज
8 जुलाई को लश्कर ए तैयबा के बहावलपुर मरकज का प्रमुख सैफुल्लाह सैफ, वैश्विक आतंकी मुजम्मिल हाशमी अपने साथियों के साथ जंगल पार करके लश्कर ए तैयबा के चेला बंदी कैम्प में गए भी थे, जहां उनके साथ लश्कर ए तैयबा का पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में कई सालों से कामकाज देख रहा लश्कर का सबसे पुराना कमांडर अबू मुआज भी मौजूद था.
अबू मुआज पाकिस्तान के कसूर इलाके का रहने वाला है और साल 2003 से ही लश्कर का PoK में कमांडर है. कैम्प का दौरा करने के बाद इन सभी ने ग्रुप फोटो भी खिचवायी थी, जिसमें कैम्प में ट्रेनिंग ले रहे लश्कर ए तैयबा के 6 आतंकी भी कैम्प का संचालन करने वाले अन्य लोगों के साथ साफ-साफ दिख रहे थे.
ऑपरेशन सिंदूर के बाद ही लश्कर ए तैयबा का आतंक ठप्प
खुफिया सूत्रों की मानें तो ऑपरेशन सिंदूर के बाद ही लश्कर ए तैयबा अपने ठप्प पड़े आतंक के कारोबार को फिर से शुरू करने की कोशिश कर रहा है, जिसके लिए पहले चरण में अभी उसने अपने बंद पड़े ट्रेनिंग और लांचिंग कैम्प को फिर से सक्रिय किया है. साथ ही बड़े स्ट्रक्चर की जगह इन्हें छोटे-छोटे स्ट्रक्चरों में बदला जा रहा है और मैप पर किसी को होटल तो किसी को पिकनिक स्पॉट लिखा जा रहा है, जिससे भारतीय एजेंसियों को धोखा दिया जा सके.
हालांकि लश्कर की ये रणनीति पहले ही फेल हो चुकी है, क्योंकि अपने शवाई नाला कैम्प को भी लश्कर ने दूध डेरी का नाम मैप पर दिया था. सूत्रों के मुताबिक, लश्कर ए तैयबा की ओर से मुजफ्फराबाद में स्थित इन आतंकी अड्डों को ऐक्टिव करने के पीछे का एक बड़ा कारण ये भी है.
रिहायशी इलाकों में बना रहे कैंप
दरअसल अब्दुल्ला बिन मसूद कैम्प सिरिकोट हिल स्टेशन पर स्थित है, जहां हर मौसम में पर्यटक रहते हैं और चेला बंदी के ट्रेनिंग और लांचिंग कैम्प के पास ही पाकिस्तानी सेना का सेंटर है और ट्रेनिंग कैम्प में पाकिस्तानी सेना की गतिविधि भी रहती है.
ऐसे में जिस तरह से ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत ने आतंकी अड्डों पर हमला करते समय रिहाशी इलाकों और सैन्य ठिकानों के आसपास हमला नहीं किया था और रिहायशी इलाकों और सैन्य ठिकानों से दूर ही स्थित लश्कर ए तैयबा, जैश ए मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन के ट्रेनिंग और लांचिंग कैंपों को ही ध्वस्त किया था तो लश्कर ए तैयबा को लगता है कि वो इस नई रणनीति से बच जाएगा.
लश्कर ए तैयबा के ट्रेनिंग कैम्प में चार शूटिंग रेंज
चेला बंदी स्थित लश्कर ए तैयबा के ट्रेनिंग कैम्प में चार शूटिंग रेंज के अलावा 2 हैलीपैड भी हैं और इस पूरे ट्रेनिंग कैम्प को पाकिस्तानी सेना और ISI ने लश्कर के आतंकियों को ट्रेन करने के लिए ही ना सिर्फ तैयार किया था, बल्कि साल 2021 से लगातार ट्रेनिंग कैम्प को सेना और ISI हाईटेक बना रहा है और ट्रेनिंग के लिए नए निर्माण कर रहा है.
साथ ही पास में ही ISI का ऐक्टिव कमांड यूनिट भी है. लश्कर ए तैयबा का अब्दुल्ला बिन मसूद कैम्प और चेला बंदी कैम्प का भारत में हुए बड़े आतंकी हमलों से कनेक्शन भी रहा है, जहां से आतंकियों को तैयार करके ट्रेन द्वारा भारत में हमले करवाये गए.
23 आतंकी कैंपों की लिस्ट भारत ने की थी जारी ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत ने पाकिस्तान में स्थित जिस 23 आतंकी कैंपों की लिस्ट मैप के साथ जारी की थी, उसमें अब्दुल्ला बिन मसूद और चेला बंदी का भी नाम था. हालांकि ये दोनों कैम्प बीते 6 सालों से निष्क्रिय थे, ऐसे में भारतीय सेना ने इन कैंपों पर स्ट्राइक नहीं की थी, लेकिन अब फिर से लश्कर ए तैयबा इक कैंपों को सक्रिय कर दिया है.
ये पहला मौका नहीं है, जब लश्कर ए तैयबा के आतंकियों के PoK में स्थित आतंक के अड्डों का दौरा किया हो. हर साल लश्कर ए तैयबा का एक डेलीगेशन पीओके में जाकर आतंक के अड्डों का दौरा करता है और ISI के साथ बैठक कर आगे की रणनीति पर चर्चा करता है.
सैफुल्लाह सैफ, डिप्टी अमीर सैफ़ुल्लाह कसूरी का दाहिना हाथ
ऐसे में सैफुल्लाह सैफ उर्फ राणा सैफुल्लाह और मुजम्मिल हाशमी का पूरे ग्रुप के साथ पाकिस्तान से PoK में स्थानीय कमांडरो के साथ आना, फिर से सक्रिय हुए कैंपों का दौरा करना, ISI के साथ किसी नए संचालन की तरफ भी इशारा कर रहा है, क्योंकि सैफुल्लाह सैफ उर्फ राणा सैफुल्लाह लश्कर के डिप्टी अमीर सैफ़ुल्लाह कसूरी का दाहिना हाथ कहा जाता है और हमेशा बड़े मंचों पर सैफ़ुल्लाह कसूरी अपनी गैर मौजूदगी में राणा सैफुल्लाह को ही अपने प्रतिनिधि के रूप में भेजता है.
राणा सैफ़ुल्लाह इस समय लश्कर ए तैयबा के बहावलपुर स्थित मरकज अल अक्सा का प्रमुख है और मरकज जामिया मुहमदिया इस्लामिया का डिप्टी केयर टेकर है. साथ ही पहलगाम हमले के दिन बहावलपुर में ही लश्कर ए तैयबा और हमास का एक साझा मजमा लगना था, जिसमें हमास का ईरान में दूत खालिद कयूमी आया था, लेकिन सैफ़ुल्लाह कसूरी ने उस दिन कार्यक्रम में ना उपस्थित होकर सैफ़ुल्लाह सैफ उर्फ राणा सैफुल्लाह को ही अपने प्रतिनिधि के रूप में भेजा था.
हथियारों की खेप का कामकाज मुजम्मिल हाशमी के पास
इसी तरह मुजम्मिल इकबाल हाशमी साल 2014 से ही जमात उद दावा और लश्कर ए तैयबा का कराची के प्रमुख है और हाफिज सईद का खास है. लश्कर ए तैयबा के लिए कराची से पैसा इकट्ठा करने का सारा काम मुजम्मिल इकबाल हाशमी ही करता है. साथ ही लश्कर में हथियारों की खेप का कामकाज भी मुजम्मिल हाशमी के पास ही है, जिस वजह से अमेरिका ने इसे साल 2018 में वैश्विक आतंकी घोषित किया था.
फिर से सक्रिय कैंपों में पाकिस्तान से आए लश्कर ए तैयबा के प्रतिनिधिमंडल को अब्दुल्ला बिन मसूद कैम्प में हिजबुल मुजाहिदीन का कमांडर अबू सुहैब कश्मीरी लेकर गया था, जो साल 2002 से ही हिजबुल मुजाहिदीन का सारा कामकाज PoK में देख रहा है. साथ ही भारत में मौजूद आतंकियों के साथ कोआर्डिनेशन भी इसकी ही जिम्मेदारी है, ऐसे में इस आतंकी को लश्कर ए तैयबा की ओर से अब्दुल्ला बिन मसूद कैम्प की कमान देने का सीधा मतलब यही है कि ये दोनों आतंकी संगठन मिलकर भारत के खिलाफ आतंकवाद फैलाने का काम करेंगे.
ये भी पढ़ें:- Israel Hamas War: 'रोक दें गाजा में तबाही, वरना...', जमात-ए-इस्लामी हिंद ने भारत सरकार से कह दी बड़ी बात