सऊदी अरब–पाकिस्तान रक्षा समझौते के बाद सवाल उठ रहे थे कि क्या पाकिस्तान अपनी न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी सऊदी अरब को देगा. इसको लेकर पाकिस्तान के रक्षामंत्री ख्वाजा आसिफ ने जवाब दिया है. उन्होंने कहा कि हमारे पास जो भी है, हम उन्हें देंगे. इस बयान से दोनों देशों के बीच हुई डिफेंस डील की अहमियत को समझा जा सकता है. 

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एक पाकिस्तानी टीवी न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा कि नए पाकिस्तान-सऊदी रक्षा समझौते के तहत पाकिस्तान की परमाणु क्षमताएं उन्हें उपलब्ध होंगी. उन्होंने कहा कि इस समझौते में और अरब देशों के शामिल होने के दरवाज़े बंद नहीं हुए हैं.

सऊदी अरब के लिए जगी उम्मीद

इस घोषणा से सऊदी अरब को उम्मीद की किरण जगी है. रियाद को पहले से उम्मीद थी कि पाकिस्तान की परमाणु क्षमताएं उसके लिए एक तरह का सुरक्षा कवच साबित होंगी. हालांकि, अब पाकिस्तान के इस रुख से सऊदी अरब की रणनीति में बदलाव आ सकता है. यह कदम सऊदी अरब की रक्षा प्राथमिकताओं और साझेदारियों को भी मदद मिलेगी. आर्म्स कंट्रोल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान के पास मौजूदा वक्त में लगभग 170 परमाणु हथियार हैं, जो भारत के मुकाबले कम है. भारत के पास लगभग 172 परमाणु हथियार हैं.

रक्षा समझौता किसी तीसरे देश के खिलाफ नहीं- पाकिस्तान

पाकिस्तान ने शुक्रवार (19 सितंबर 2025) को कहा कि सऊदी अरब के साथ हाल में हुआ परस्पर रक्षा समझौता किसी तीसरे देश के खिलाफ नहीं है. उसने कहा कि यह समझौता रक्षा सहयोग बढ़ाने और संयुक्त सुरक्षा सुनिश्चित करने की दोनो देशों की प्रतिबद्धता को दर्शाता है. यहां साप्ताहिक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए विदेश कार्यालय के प्रवक्ता शफकत  खान ने इस समझौते को क्षेत्र और दुनिया में शांति एवं सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए एक मील का पत्थर बताया.

सऊदी-पाक डिफेंस डील पर क्या है भारत का रिएक्शन?

पाकिस्तान और सऊदी अरब  ने बुधवार (17 सितंबर 2025) को एक रणनीतिक परस्पर रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसके अनुसार दोनों देशों पर किसी भी हमले को दोनों के खिलाफ आक्रमण माना जाएगा. यह समझौता कतर में हमास नेतृत्व पर इजरायली हमले के कुछ दिनों बाद हुआ है, जो खाड़ी क्षेत्र में अमेरिका का एक प्रमुख सहयोगी है. इस घटनाक्रम पर टिप्पणी करते हुए, भारत ने गुरुवार (18 सितंबर 2025) को कहा कि वह अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ-साथ क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता पर इस कदम के प्रभावों का अध्ययन करेगा. 

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