पाकिस्तान और इजराइल के रिश्तों में हमेशा से खटास रही है, खासकर फिलिस्तीन मुद्दे पर दोनों देशों के विचार पूरी तरह से उलट हैं. पाकिस्तान ने हमेशा फिलिस्तीन के समर्थन का दावा किया है, लेकिन हालिया घटनाओं ने यह साबित कर दिया है कि पाकिस्तान का असल रुख क्या है. गाजा के मुसलमानों के खिलाफ पाकिस्तान की चुपके-चुपके इजराइल के साथ बढ़ती नजदीकी फिलिस्तीन के लोगों के लिए एक बड़े धोखे से कम नहीं है. 

हाल ही में पाकिस्तान के 11 पत्रकारों का इजराइल दौरा इस पूरे मामले को और भी स्पष्ट करता है. यह पत्रकार एक एनजीओ के माध्यम से इजराइल गए और वहां उन जगहों का भी भ्रमण किया, जहां हमास के लड़ाकों ने बम गिराया था. पाकिस्तान के पत्रकारों ने इस दौरान इजराइल की सरकार से फिलिस्तीन को लेकर अपना रुख बदलने की अपील भी की. 

येरूसलम पोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक इजराइल पहुंचे इन पत्रकारों ने यहूदी बहुल देश की काफी तारीफ की है. यह घटनाक्रम पूरे पाकिस्तान में तहलका मचा चुका है. ऐसे में सवाल ये उठ रहे हैं कि क्या पाकिस्तान ने इस दौरे के पीछे इजराइल के साथ एक चुपचाप डील की है?

पाकिस्तानी सरकार ने दी सफाई 

पाकिस्तान की सरकार ने पत्रकारों के इजराइल दौरे पर सफाई दी, लेकिन यह सफाई केवल लीपापोती साबित हुई है. विदेश मंत्रालय ने कहा कि इस मामले की जांच की जा रही है, लेकिन सवाल उठता है कि क्यों इन पत्रकारों पर कार्रवाई नहीं की गई, जबकि इससे पहले बिना परमिशन इजराइल जाने पर एक पाकिस्तानी पत्रकार को नौकरी से हाथ तक धोना पड़ा था? इसका सीधा मतलब है कि इन पत्रकारों का इजराइल जाना सरकार की अनुमती के बिना नहीं हो सकता.

इस पूरे घटनाक्रम को देखने पर यह साफ होता है कि पाकिस्तान की सरकार फिलिस्तीन के समर्थन का दिखावा तो करती है, लेकिन असल में इजराइल के साथ एक खामोश राजनीतिक समझौता करने में लगी हुई है. अमेरिका से मिलने वाली विदेशी सहायता के संकट से बचने के लिए पाकिस्तान ने इजराइल से नजदीकी बढ़ाने का फैसला किया है, ताकि अमेरिकी दबाव को झेलने में मदद मिल सके. पाकिस्तान को मिलने वाली अमेरिकी सहायता की राशि अब रुक चुकी है और यह पाकिस्तान के लिए एक बड़ा आर्थिक संकट बन चुका है.

इस संदर्भ में, पाकिस्तान की सरकार फिलिस्तीन के हितों को छोड़कर, इजराइल के साथ नए रिश्ते बनाने की जुगत में है. यह एक बड़ा राजनीतिक धोखा है, क्योंकि पाकिस्तान ने फिलिस्तीन के संघर्ष को हमेशा समर्थन दिया है, लेकिन अब वह इस संघर्ष से पलटकर इजराइल से संबंध बनाने की कोशिश कर रहा है. 

पाकिस्तान के इस रवैये से फिलिस्तीन के प्रति उसकी सच्ची प्रतिबद्धता पर सवाल उठ रहे हैं. गाजा के मुसलमानों के खिलाफ पाकिस्तान के इस गुप्त समझौते ने दुनिया भर में पाकिस्तान के राजनैतिक और कूटनीतिक स्तर पर एक बड़ा संदेश भेजा है. फिलिस्तीन और पाकिस्तान के रिश्तों को लेकर पैदा हुआ यह सवाल और पाकिस्तान की कूटनीतिक चालें अब नई चुनौतियां और विवादों के साथ सामने आ रही हैं. 

आखिरकार, क्या पाकिस्तान ने फिलिस्तीन के मामले को सिर्फ एक राजनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल किया है और अब इजराइल के साथ अपने रिश्ते सुधारने का खेल खेल रहा है? यह सवाल फिलिस्तीन के संघर्ष को लेकर पाकिस्तान की सच्ची नीति पर गहरे सवाल खड़े करता है, जो भविष्य में वैश्विक राजनीति को प्रभावित कर सकता है.