Pakistan Air Pollution: पाकिस्तान के लाहौर और भारत की राजधानी दिल्ली के बीच काफी समानताएं हैं. अब तक खाना, कल्चर और ऐतिहासिक धरोहरों की वजह से दोनों शहरों को एक जैसा माना जाता था. मगर अब इसमें एक और नाम जुड़ गया है और वो है-प्रदूषण. जिस तरह सर्दियों के आने के साथ ही दिल्ली के लोगों को साफ हवा के लिए जूझना पड़ता है. ठीक वैसे ही लाहौर की आवाम को भी साफ-सुथरी हवा के लिए परेशान होना पड़ता है. 


दिल्ली-एनसीआर में शनिवार (11 नवंबर) को भी एयर क्वालिटी बेहद खराब रही है. वो तो शुक्र हो बारिश का, जो 400 के पार चल रहे एयर क्वालिटी इंडेक्स 150 के करीब आया है. लेकिन ये हवा भी बेहद ही खराब स्थिति की है. ठीक ऐसा ही कुछ लाहौर में भी है, जहां एक्यूआई लगभग दिल्ली के बराबर है. अब ऐसे में सवाल उठता है कि दिल्ली में तो प्रदूषण के पीछे पराली जलाने और गाड़ियों के धुएं का हाथ होता है, लेकिन पाकिस्तान में फैले वायु प्रदूषण के पीछे क्या वजह है. 


क्या है पाकिस्तान में हाल? 


पाकिस्तान में वायु प्रदूषण के पीछे की वजह जानने से पहले वहां के हालात को समझते हैं. वायु प्रदूषण की सबसे बुरी मार पाकिस्तान का पंजाब प्रांत झेल रहा है. इस प्रांत की राजधानी लाहौर का सबसे बुरा हाल है. इसके अलावा ननकाना साहिब, शेखपुरा, कासूर, गुजरांवाला, हाफिजाबाद और सियालकोट में भी लोग साफ हवा के लिए संघर्ष करते हुए दिखाई दिए. सबसे ज्यादा हैरानी वाली बात ये है कि एयर क्वालिटी इतनी ज्यादा खराब हुई है कि सरकार को लॉकडाउन लगाना पड़ा है. 


दरअसल, लाहौर, गुजरांवाला और हाफिजाबाद में रविवार तक पब्लिक पार्क, मॉल और दफ्तरों को बंद कर दिया गया है. पंजाब प्रांत के मुख्यमंत्री मोहसिन नकवी ने कहा कि तीनों शहरों में हेल्थ इमरजेंसी लगाई गई है. लोगों की गतिविधियों को कम से कम कर दिया गया है. सरकार ने ये फैसला तब लिया, जब तीनों शहरों में एक्यूआई 400 के पार चला गया. हालांकि, शुक्रवार को हुई बारिश के बाद अभी लाहौर का एक्यूआई 157 पर है, जो 'अस्वस्थ' की कैटेगरी में आता है. 


क्या है वायु प्रदूषण की वजह? 


लाहौर और पंजाब प्रांत के कई अन्य शहरों में वायु प्रदूषण की समस्या लगातार बढ़ रही है. लगभग 11 करोड़ की आबादी के साथ पंजाब पाकिस्तान का सबसे ज्यादा आबादी वाला प्रांत है. लाहौर में खराब हवा की वजह वाहनों से निकलने वाला धुंआ, इंडस्ट्री से होने वाला प्रदूषण, कोयले से चलने वाले पावर प्लांट, कचरे को जलाना और हजारों ईंट के भट्टों से निकलने वाला धुआं है. इसके अलावा सर्दियों के समय लाहौर के बाहर मौजूद खेतों में जलाई जाने वाली पराली भी एक वजह है.


इस साल मई में पंजाब प्रांत की प्लानिंग एंड डेवलपमेंट डिपार्टमेंट की तरफ से जारी की गई एक रिपोर्ट में बताया गया कि लाहौर के 83 फीसदी वायु प्रदूषण के पीछे गाड़ियों से निकलने वाला धुंआ है. लाहौर के सिटी ट्रैफिक पुलिस के मुताबिक, शहर में वाहनों की संख्या 62 लाख है, जबकि 42 लाख मोटरसाइकिल हैं. इनमें से ज्यादातर गाड़ियों में घटिया क्वालिटी का तेल इस्तेमाल किया जाता है, जिनकी वजह से निकलने वाला धुंआ बेहद ही जहरीला होता है. 


शहर की ज्यादातर गाड़ियों की ठीक ढंग से जांच भी नहीं की जाती है. कुछ गाड़ियां कई-कई साल पुरानी हैं और उनकी टेस्टिंग भी नहीं हो रही है. इसकी वजह से इन खस्ताहाल गाड़ियों से बहुत ज्यादा धुंआ निकलता है. सिर्फ इतना ही नहीं, बल्कि लाहौर में एक वक्त पेड़ों की तादाद बहुत ज्यादा थी. लेकिन पिछले 15 सालों में हाईवे, अंडरपास और ओवरपास बनाने के नाम पर शहर से पेड़ों को काटा जाने लगा. इसका नतीजा ये हुआ कि खराब हवा को साफ करने वाले पेड़ ही नहीं हैं. 


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