दक्षिण एशिया के सबसे पुराने क्षेत्रीय संगठन SAARC को लेकर पाकिस्तान ने एक बार फिर भारत के खिलाफ जहरीला बयान दिया है. पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय का कहना है कि भारत की वजह से यह संगठन लगभग निष्क्रिय हो गया है, जबकि यह पूरे क्षेत्र के लिए बेहद महत्वपूर्ण है. इस बयान ने दोनों देशों के बीच खिंचाव को फिर उजागर कर दिया है.

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पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ताहिर हुसैन अन्दराबी ने कहा, 'भारत लगातार SAARC प्रक्रिया को रोकता आया है और इसी कारण यह संगठन अपनी असली भूमिका निभाने में असमर्थ है.' PAK विदेश मंत्रालय ने दावा किया कि नई दिल्ली अक्सर इस बात का गलत प्रचार करती है कि SAARC इसलिए आगे नहीं बढ़ पा रहा क्योंकि आयोजन इस्लामाबाद में होना था. पाकिस्तान के अनुसार ऐसा पहली बार नहीं है. भारत ने 1990 के दशक में भी SAARC शिखर सम्मेलन रोका था.

चीन और बांग्लादेश के साथ नए गठबंधन की कोशिश

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इस बीच खबर है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और चीन के साथ मिलकर एक नया South Asia Regional Group बनाने की कोशिश कर रहा है. इसे भारत के प्रभाव को कम करने की रणनीति माना जा रहा है. बांग्लादेश के विदेश मामलों के सलाहकार मोहम्मद तौहीद हुसैन ने भी इशारा दिया कि ढाका इस नए समूह की संभावना पर विचार कर रहा है.

SAARC क्यों हुआ निष्क्रिय?

SAARC में आठ देश शामिल हैं. भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, मालदीव, श्रीलंका और अफगानिस्तान. एक समय यह मंच दक्षिण एशिया की आवाज माना जाता था, लेकिन पिछले लगभग दस वर्षों से यह ठप पड़ा है. 2014 में काठमांडू शिखर सम्मेलन के बाद दो साल में होने वाली बैठकें नहीं हो पाईं. इसकी मुख्य वजह भारत और पाकिस्तान के लगातार बिगड़ते रिश्तों को माना जाता है.

भारत की प्रतिक्रिया?

भारत की ओर से इस बयान पर आधिकारिक टिप्पणी नहीं आई है, लेकिन भारत पहले भी कहता रहा है कि सीमा पार आतंकवाद के माहौल में SAARC आगे नहीं बढ़ सकता. भारत का कहना है कि पहले पाकिस्तान को क्षेत्र में शांति का माहौल बनाना होगा, तभी SAARC की नई बैठक संभव है.

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