अफ्रीकी देश तंजानिया में हुए आम चुनाव के बाद शुरू हुआ प्रदर्शन हिंसक हो गया, जिस वजह से पूरे देश में कर्फ्यू लगाया गया और इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है. राष्ट्रपति सामिया सुलुहू हसन पर आरोप लग रहे हैं कि उन्होंने अपने राजनीतिक विरोधियों को जेल में डाल दिया है. इस बीच तंजानिया की मुख्य विपक्षी पार्टी चाडेमा ने दावा किया है कि देश भर में तीन दिनों तक चले हिंसक विरोध प्रदर्शनों में करीब 700 लोग मारे गए हैं.

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न्यूज एजेंसी एएफपी की रिपोर्ट के मुताबिक, चाडेमा के प्रवक्ता जॉन किटोका ने शुक्रवार (31 अक्तूबर 2025) को कहा, ‘इस समय देश के दार-ए-सलाम में मरने वालों की संख्या लगभग 350 और म्वांजा ​​में यह 200 से ज्यादा है. देश भर के अन्य स्थानों के आंकड़ों को मिलाकर कुल 700 लोगों की मौत हुई है.’ एएफपी ने एक सुरक्षा सूत्र के हवाले से दावा किया कि उन्होंने भी इतने ही लोगों के मरने की संख्या सुनी है.

तंजानिया में कैसे शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन

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तंजानिया में विरोध प्रदर्शन की शुरुआत बुधवार (29 अक्टूबर, 2025) को विवादित आम चुनाव के बाद शुरू हुई थी. दरअसल, तंजानिया में हुए आम चुनाव को राष्ट्रपति सुलूहू हसन और उनकी सत्तारूढ़ पार्टी चामा चा मापिंदुजी (CCM) के पक्ष में झुका हुआ माना जा रहा है. आम चुनाव के बाद तंजानिया में प्रदर्शनकारियों ने पोस्टर फाड़ दिए, पुलिस थानों पर हमले किए और यहां तक कि सुरक्षा बलों के साथ झड़प भी की. प्रदर्शनकारियों ने दार-ए-सलाम, म्वांजा, डोडोमा और कई अन्य इलाकों में सड़कों पर प्रदर्शन किया और पुलिस और सुरक्षा बलों के साथ झड़प को अंजाम दिया.

देश में फैली अशांति के बीच तीसरे दिन भी इंटरनेट पर प्रतिबंध

प्रदर्शनकारियों के पुलिस और सुरक्षा बलों के साथ हुए झड़प के बाद तंजानिया के कई हिस्सों में अशांति फैल गई. जिसके नियंत्रित करने के लिए तंजानिया सरकार ने कर्फ्यू लगा दिया और यहां तक कि इंटरनेट पर भी रोक लगा दी.

न्यूज एजेंसी एएफपी के मुताबिक, सरकार ने लगातार तीसरे दिन भी तंजानिया में इंटरनेट पर रोक लगाकर रखा. इसके अलावा, देश में फैली अशांति की घटनाओं को बड़े पैमाने पर कवर करने से विदेशी पत्रकारों को भी रोक दिया गया.

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