आतंकवादी ओसामा बिन लादेन का आतंकी समूह अल-कायदा अब एक ऐसे लक्ष्य को हासिल करने की जुगत में लगा है, जो उसने पहले कभी नहीं किया. दरअसल, इस्लामिक आतंकी संगठन अल-कायदा अपनी सहयोगी दल जमात नुसरत अल-इस्लाम वल-मुस्लमीन (JNIM) के सहयोग से पश्चिम अफ्रीका के देश माली में शासन करने की कोशिश में जुटा है.

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माली में अलकायदा का सहयोगी दल जेएनआईएम देश के बड़े हिस्से में अपनी पकड़ मजबूत कर रहा है और राजधानी बमाको पर कब्जे की धमकी दे रहा है. सुरक्षा विश्लेषकों ने चेतावनी दी है कि माली अलकायदा के 40 सालों के इतिहास में पूरी तरह से उसके अधीन आने वाले पहला देश हो सकता है.

देश की राजधानी को घेर रहे अलकायदा के आतंकी

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दरअसल, पिछले कई महीनों से आतंकी समूह पश्चिमी अफ्रीकी देश माली के दक्षिणी हिस्से की ओर तेजी से बढ़ते हुए राजधानी को घेर रहे हैं. इसके साथ ही आपूर्ति के कई प्रमुख रास्तों को भी अवरुद्ध कर रहे हैं. इससे राजधानी बमाको में रोजमर्रा की चीजों की कीमतें आसमान छू रही हैं. इसके अलावा, बमाको में ईंधन की कमी और खाने की चीजों पर भी नाकेबंदी जारी है. स्थानीय बाजारों में आवश्यक चीजों की तंगी हो गई है.

आतंकी घेराबंदी के कारण शहर में जरूरी सामान लेकर आने वाले ट्रक पहुंच नहीं पा रहे हैं. इसके पीछे कारण बताया जा रहा है कि आतंकवादियों ने रास्तों पर कई चेकपॉइंट्स बना लिए हैं. जहां से आतंकी टैक्स वसूली करते हैं और यहां तक कि उन्होंने ग्रामीण इलाकों में अस्थायी अदालतें भी स्थापित कर ली हैं, इसे एक्सपर्ट एक छाया सरकार कर रहे हैं.

माली की सेना का घट रहा मनोबल, लोगों का सैन्य सरकार से उठ रहा भरोसा

माली की सेना जुंटा अब देश में अपनी व्यवस्था बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रही है, जिसने साल 2020 और 2021 में तख्तापलट के जरिए देश की सत्ता हासिल की थी. दरअसल, पश्चिमी सहयोगियों से अलगाव और भाड़े के विदेशी सैनिकों पर निर्भरता ने माली को कमजोर और अत्यंत तनावग्रस्त बन दिया है. माली की सेना के मनोबल पूरी तरह से कमजोर हो गया है और इसके पास संसाधनों की कमी है. इसके अलावा, उग्रवादियों के लगातार आगे बढ़ने और बुनियादी संरचना के ढहने के कारण लोगों का सरकार में विश्वास कर होता जा रहा है.

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