Nowruz 2023 Google Doodle: विश्व का सबसे बड़ा सर्च इंजन गूगल (Google) आज (21 मार्च) एक एनिमेटेड डूडल के साथ 'नवरोज' (Nowruz 2023) मना रहा है. 'नवरोज' दरअसल, पारसी समुदाय के नववर्ष की शुरूआत को कहा जाता है. पारसी न्यू ईयर (Parsi New Year) पर तैयार किए गए डूडल के जरिए गूगल ने पारसी समुदाय को 'नवरोज' की शुभकामनाएं दी हैं.
गूगल के इस डूडल में वसंत के फूलों- ऑर्किड, ट्यूलिप, जलकुंभी, डैफोडील्स, ओफ्रीस एपिफेरा और मधुमक्खी को देखा जा सकता है. जिसका मतलब है कि इसे वसंत ऋतु को थीम के तौर पर दर्शाया गया है. नवरोज पारसी समुदाय के लिए आस्था का प्रतीक है. 'नवरोज' दो पारसी शब्दों नव और रोज से मिलकर बना है, जिसका मतलब नया दिन होता है. इस दिन के बारे में अधिक जानकारी देते हुए, Google ने लिखा कि संयुक्त राष्ट्र नवरोज को एक अंतरराष्ट्रीय अवकाश के रूप में मान्यता देता है, क्योंकि मध्य पूर्व, दक्षिण काकेशस, काला सागर बेसिन और उत्तरी, पश्चिमी, मध्य और दक्षिण एशिया के बहुत-से परिवार इस दिन को खुशी से सेलिब्रेट करते हैं.
3 हजार साल पुराना है 'नवरोज' का इतिहास'नवरोज' को समुदाय के लोगों द्वारा सदियों से मनाया जा रहा है. यह दिन पारसी समुदाय के लिए नववर्ष यानी नए साल के पहले दिन के रूप में अहमियत रखता है. बताया जाता है कि इस समुदाय के लोग इस पर्व को 3 हजार साल से मना रहे हैं.
फारस के राजा जमशेद ने शुरू किया था पारसी कैलेंडरइस पर्व को फारस के राजा जमशेद की याद में मनाया जाता है. दरअसल, राजा जमशेद ने पारसी कैलेंडर की स्थापना की थी. राजा जमशेद ने पारसी कैलेंडर में सौर गणना की शुरुआत करने वाले महान राजा थे. ऐसे में पारसी लोग इस दिन राजा जमशेद की पूजा करते हैं और उसके बाद एक-दूसरे को नए साल की बधाई देते हैं.
घरों के बाहर बनती हैं रंगोली, खाए जाते हैं पकवानअब तक मनाए जाने वाले सबसे पुराने त्योहारों में से एक होने के नाते, ईरान के आधिकारिक सौर हिजरी कैलेंडर में नवरोज नए साल की शुरुआत का प्रतीक है. इस दिन पारसी समुदाय के लोग नए कपड़े पहनते हैं और उपासना स्थल फायर टेंपल जाते हैं. इस दिन लोग घरों के बाहर रंगोली बनाते हैं, और घर में पकवान बनाए जाते हैं.
पारसी समुदाय के होते हैं एक साल में 360 दिननवरोज के अलावा पारसी कैलेंडर की एक दिलचस्प बात यह है कि इनके एक साल में 360 दिन ही होते हैं, जबकि अंग्रेजी कैलेंडर के मुताबिक, एक साल में 365 दिन होते हैं. आखिरी के 5 दिन गाथा के तौर पर माना जाता है. इस दौरान पारसी लोग अपने पूवर्जों को याद करते हैं. वैसे पारसी समुदाय दुनिया में अल्पसंख्यक समुदाय में आता है. लेकिन ये लोग जहां भी रहते हैं, वहां अपनी परंपराओं को जीवंत रखे हुए हैं.
इन देशों में बसे हुए हैं पारसी समुदाय के लोग पारसी समुदाय के लोग ईरान (जिसे पहले फारस कहा जाता था), अफगानिस्तान और इराक, तुर्की और सीरिया के कुर्द क्षेत्रों जैसे देशों में बहुतायत मिलते हैं. भारत में भी कई जगहों पर इनका निवास है. इसके अलावा ये अमेरिका में भी रहते हैं.
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