यमन में मौत की सजा का सामना कर रहीं भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को फिलहाल बड़ी राहत मिली है. भारत सरकार के लगातार प्रयासों के बाद यमनी अधिकारियों ने उनकी फांसी पर अस्थायी रोक लगाने का फैसला किया है.

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अब निमिषा के वकीलों और परिवार को मौका दिया गया है कि वे मारे गए यमनी नागरिक तलाल अब्दो मेहदी के परिवार से बातचीत कर ‘ब्लड मनी’ यानी मुआवजा समझौते तक पहुंचने की कोशिश करें. अगर पीड़ित परिवार इस समझौते के लिए तैयार हो जाता है तो निमिषा की मौत की सजा माफ हो सकती है.

कौन हैं निमिषा प्रिया?

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केरल के पलक्कड़ जिले की रहने वाली 38 वर्षीय निमिषा प्रिया साल 2008 में नर्सिंग पेशे के तहत काम करने यमन गई थीं. वहां उन्होंने 2015 में एक यमनी नागरिक तलाल अब्दो मेहदी के साथ मिलकर एक क्लिनिक शुरू किया.

निमिषा प्रिया पर क्या हैं आरोप

निमिषा का आरोप है कि क्लिनिक शुरू होने के बाद मेहदी ने उनका पासपोर्ट जब्त कर लिया, उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया और क्लिनिक की कमाई पर भी कब्जा जमा लिया.

3. मेहदी की मौत कैसे हुई?

बताया जाता है कि 2017 में अपने पासपोर्ट को वापस लेने और यमन छोड़ने की कोशिश में निमिषा ने मेहदी को बेहोश करने के लिए इंजेक्शन दिया. लेकिन इंजेक्शन की ओवरडोज के कारण मेहदी की मौत हो गई. इसी मामले में यमन की अदालत ने निमिषा को मौत की सजा सुनाई थी.

4. निमिषा को मौत की सजा कब सुनाई गई?

 घटना के बाद, निमिषा प्रिया ने अपनी सहयोगी हनान के साथ मिलकर मृतक तलाल अब्दो मेहदी के शव के टुकड़े किए और उन्हें पानी की टंकी में छिपा दिया. यह मामला सामने आने के बाद यमन की अदालत ने 2018 में निमिषा को मौत की सजा सुनाई.

5. सुप्रीम कोर्ट के बाद राष्ट्रपति ने भी लगाई मुहर

2023 में यमन के सुप्रीम कोर्ट ने भी निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा. हाल ही में यमन के राष्ट्रपति रशद अल-अलीमी ने भी इस सजा पर अपनी मुहर लगा दी है.

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