न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन ने शनिवार (27 दिसंबर) को भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) का स्वागत किया, जबकि कुछ ही दिन पहले उनके देश के विदेश मंत्री ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई थी. लक्सन ने इस समझौते को अपनी सरकार के लिए ऐतिहासिक उपलब्धि और भविष्य के विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया.

Continues below advertisement

लक्सन ने कहा, “हमने अपने पहले कार्यकाल में भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौता कराने का वादा किया था और हमने उसे पूरा किया है.” इसके आर्थिक महत्व पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि इस समझौते से 14 लाख भारतीय उपभोक्ताओं के लिए अधिक रोजगार, हाई इनकम और अधिक निर्यात के अवसर उपलब्ध होंगे.”

न्यूजीलैंड के विदेश मंत्री ने क्या कहाउन्होंने कहा कि ये समझौता उनकी सरकार के व्यापक एजेंडे का हिस्सा है. हाल ही में हुए इस समझौते ने न्यूजीलैंड के सत्तारूढ़ गठबंधन के भीतर मतभेदों को उजागर कर दिया, क्योंकि विदेश मंत्री विंस्टन पीटर्स ने इस समझौते की आलोचना करते हुए इसे न तो स्वतंत्र और न ही निष्पक्ष बताया. न्यूजीलैंड फर्स्ट (एनजेडएफ) पार्टी के नेता पीटर्स ने आगे कहा कि उन्होंने भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर को अपनी पार्टी की चिंताओं से अवगत कराया था और यह भी कहा कि समझौते का विरोध करने के बावजूद वे उनके प्रति अत्यंत सम्मान रखते हैं.

Continues below advertisement

दोनों देशों को फायदापीएम मोदी और लक्सन के बीच हुई बातचीत के बाद इस सप्ताह की शुरुआत में मुक्त व्यापार समझौते की घोषणा की गई. दोनों नेताओं ने कहा कि इस समझौते से अगले 5 सालों में द्विपक्षीय व्यापार दोगुना हो सकता है और भारत में अगले 15 सालों में 20 अरब डॉलर का निवेश हो सकता है. इस समझौते के लिए बातचीत मार्च में शुरू हुई थी. घोषणा के समय मोदी और लक्सन ने कहा कि यह समझौता दोनों देशों के बीच संबंधों को और गहरा करने की साझा महत्वाकांक्षा और राजनीतिक इच्छाशक्ति को दर्शाता है.

न्यूजीलैंड फर्स्ट पार्टी के नेता ने जताया विरोधइस समझौते को लेकर न्यूजीलैंड फर्स्ट पार्टी के नेता पीटर्स ने एक्स पर लिखा, "न्यूजीलैंड फर्स्ट ने अपने गठबंधन सहयोगी से अपील की थी कि वो भारत के साथ निम्न गुणवत्ता वाले समझौते को जल्दबाजी में अंतिम रूप न दें." उन्होंने आरोप लगाया कि गुणवत्ता के बजाय गति को प्राथमिकता दी गई. पीटर्स ने कहा कि नेशनल पार्टी ने न्यूजीलैंड और भारतीयों दोनों के लिए फायदेमंद निष्पक्ष समझौता करने के लिए मेहनत करने के बजाय एक घटिया समझौता करना बेहतर समझा.

पीटर्स के लिए विवाद का मुख्य कारण डेयरी उद्योग के साथ किया गया व्यवहार है. उन्होंने कहा कि न्यूजीलैंड ने भारत के लिए अपना बाजार पूरी तरह खोल दिया है, लेकिन इसके बदले में प्रमुख डेयरी उत्पादों के भारतीय इंपोर्ट पर टैरिफ में कमी नहीं की गई है.

ये भी पढ़ें

अगले 5 सालों में देश के प्रमुख शहरों में ट्रेनों की क्षमता दोगुनी करेगा भारतीय रेलवे, जानिए क्या है प्लान