नेपाल की नवनियुक्त प्रधानमंत्री सुशीला कार्की ने रविवार (14 सितंबर, 2025) को घोषणा की है कि Gen Z के नेतृत्व में हुए आंदोलन में मारे गए लोगों को आधिकारिक तौर पर शहीद मानकर सम्मानित किया जाएगा. कार्यभार संभालने के बाद अपने पहले राष्ट्रीय संबोधन में कार्की ने ये घोषणा की. उन्होंने कहा कि उनकी अंतरिम सरकार पीड़ित परिवारों का समर्थन करेगी और युवाओं के बलिदान को मान्यता देगी.

उन्होंने कहा, "मुझे परिवारों के नुकसान से गहरा दुख हुआ है, खासकर उन परिवारों से जिन्होंने अपने स्कूल और कॉलेज जाने वाले बच्चों को खोया है. जेनरेशन ज़ेड के प्रदर्शन के दौरान मारे गए लोगों को शहीद घोषित किया जाएगा. उनके परिवारों को 10 लाख रुपये की आर्थिक सहायता मिलेगी और घायलों को भी सहायता दी जाएगी."  उन्होंने यह भी बताया कि मृतकों के शवों को उनके स्थानीय क्षेत्रों तक ले जाने के इच्छुक लोगों के लिए वाहनों की व्यवस्था करने का निर्णय लिया गया है.

'मैं और मेरी टीम यहां सत्ता का स्वाद चखने नहीं आए'

73 वर्षीय पूर्व मुख्य न्यायाधीश और नेपाल की पहली महिला प्रधानमंत्री कार्की ने जोर देकर कहा कि उनका प्रशासन सत्ता पर काबिज़ रहने के लिए नहीं, बल्कि एक अस्थिर संक्रमण काल के दौरान देश को स्थिर करने के लिए बनाया गया है. उन्होंने कहा, "मैं और मेरी टीम यहां सत्ता का स्वाद चखने नहीं आए हैं. हम 6 महीने से ज़्यादा नहीं रुकेंगे. हम नई संसद को ज़िम्मेदारी सौंप देंगे. आपके समर्थन के बिना हमें सफलता नहीं मिलेगी." 

8 सितंबर को काठमांडू से शुरू हुआ था विरोध

कार्की ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए नेपाल के राजनीतिक और आर्थिक संकटों से निपटने के लिए एकजुटता का आह्वान किया. बता दें कि 8 सितंबर को काठमांडू में विवादास्पद सोशल मीडिया प्रतिबंध के बाद देश भर में विरोध प्रदर्शन शुरू हुए. नेपाल में भ्रष्टाचार, बेरोज़गारी और असमानता के खिलाफ आयोजित विरोध देखते ही देखते हिंसक प्रदर्शन में कब तब्दील हो गया, पता ही नहीं चला.  

51 लोगों की हुई है मौत

Gen Z के आक्रामक रुख के चलते केपी शर्मा ओली को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा. वो अभी नेपाली आर्मी के संरक्षण में काठमांडू स्थित शिवपुरी में रह रहे हैं. प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच हुई झड़पों में कम से कम 51 लोग मारे गए और 1,300 से ज़्यादा घायल हुए हैं.

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