नई दिल्ली: अमेरिका की नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) ने मंगल ग्रह की एक तस्वीर जारी की है. इस तस्वीर में ग्रह पर एक रहस्यमयी छेद नजर आ रहा है. इस रहस्यमयी छेद की खोज सबसे पहले 2011 में की गई है. जिसकी तस्वीर नासा ने हाल ही में जारी की है. वैज्ञानिकों का मानना है कि मंगल ग्रह से जीवन के कुछ सुराग मिल सकते हैं. इसलिए इस ग्रह की लगातार स्टडी जारी है.

बता दें कि मंगल ग्रह की स्टडी करने के लिए नासा ने ऑर्बिटर नाम का एक रोबोट भेजा था. ऑर्बिटर लगातार मंगल ग्रह की तस्वीरों को भेज रहा है. नासा द्वारा जारी इस छेद वाले इस तस्वीर को ऑर्बिटर ने ही भेजा था. इसके अलावा एक बड़े पावोनिस मॉन्स ज्वालामुखी की तस्वीर भी जारी किया गया है. जिसकी धूल भरी ढलानों को तस्वीरों में दर्शाया गया है.

जीवन की संभावना का सबूत 

दरअसल नासा की तस्वीर में दिखाए गए मार्टियन छेद को वैज्ञानिक जीवन की संभावना का सबूत माना है. नासा ने 1 मार्च को जारी ब्लॉग में कहा था कि इस छेद के आस-पास कई सुरक्षित गुफाओं का पता चला है. जो भविष्य में खोजकर्ताओं के लिए प्रमुख विषय होगा.

तस्वीर से अनुमान लगाया गया है कि छेद के 20 मीटर गहरी में लगभग 35 मीटर एक भूमिगत गुफा है. हालांकि अभी भी विशेषज्ञ इस गढ्ढे की स्टडी की जा रही है. जिससे यह अनुमान लगाया जा सके कि छेद के चारों तरफ एक गोलाकार गढ्ढा क्यों है.

 मंगल की धरातल में आयरन की अधिकता

गौरतलब है कि आयरन की अधिकता वाले ग्रह मंगल में बहुत कम मात्रा में गैसे पाई जाती हैं. लेकिन इसके बावजूद सौर मंडल के इस की सबसे अधिक खोज की जा रही है. यह ग्रह सूर्य से दूरी के हिसाब से चौथा ग्रह है और इसके वायुमंडल में धूल कणों की अधिकता है. आयरन की अधिकता के चलते यह लाल रंग का दिखाई देता है.

बता दें कि नासा और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के साथ भारत ने भी अपना अंतरिक्ष यान मंगल ग्रह की कक्षा में स्थापित किया है. अमेरिकी एजेंसी नासा ने अपने तीन अंतरिक्ष यान मंगल की कक्षा में स्थापित किया है. इसके अलावा एक रोवर ऑर्बिटर को मंगल की सतह पर उतारा है.

ये भी पढ़ें: 

Coronavirus: ईरान में कैदी छोड़े तो इटली में ओपेरा हाउस बंद, जानिए किस देश में कितना बुरा हाल?

कोरोना वायरस से प्रभावितों की मदद के लिए Google ने बढ़ाया हाथ, सुंदर पिचाई ने किया एलान