दूसरे ग्रहों को जानने और समझने के मानवीय प्रयासों को एक नया आयाम मिला है. नासा के अंतरिक्ष यान ने मंगल पर सफल लैंडिंग की जिसके बाद उम्मीद है कि इस ग्रह के बारे में काफी कुछ नया जानने को मिलेगा. मंगल ग्रह की सतह को खोदने के लिहाज से तैयार किया गया नासा का ये अंतरिक्ष यान 48.2 करोड़ किलोमीटर की यात्रा छह महीने में पूरी करने के बाद सोमवार को लाल ग्रह पर उतरा. नासा के मुताबिक इंसाइट नाम का ये यान एक पैराशूट और ब्रेकिंग इंजन की मदद से रफ्तार को धीमा किये जाने के बाद मंगल पर उतरा.
अमेरिका के कैलिफोर्निया स्थित नासा की जेट प्रोपल्शन लैबोरेट्री में फ्लाइट कंट्रोलर तब खुशी से झूम उठे जब उन्हें "टचडाउन कंफर्म्ड!" यानी लैंडिंग सफल रही का संदेश मिला. उन्होंने घोषणा की कि इंसाइट लैंडर की लैंडिंग सोमवार को हुई. इस एयरक्राफ्ट के लिए वो छह मिनट बेहद भयावह रहे जब मंगल के आसमान से ये सुपरसोनिक रफ्तार में नीचे जा रहा था.
इसकी सुरक्षित लैंडिंग की जानकारी रेडियो सिगनल्स के जरिए आई. धरती से मंगल की 100 मिलियन मील (160 मिलियन किलोमीटर) के दूरी तय करके संदेश पहुंचाने में रेडियो सिगनल्स ने आठ मिनट का समय लियाा. इंसाइट के साथ मई के महीने में एक मिनि सेटेलाइट का जोड़ा भी भेजा गया था जिसने स्पेसक्राफ्ट के सुपरसोनिक रफ्तार से निचे जाने की जानकारी ठीक उसी समय पर दी, जब वो लाल आसमान से नीचे जा रहा था.
सेटेलाइट ने मंगल की सतह से तुरंत एक तस्वीर भी ले ली. एक ट्वीट में नासा ने लिखा, "काश आप यहां होते! @NASAInSight ने #MarsLanding के बाद की पहली तस्वीर घर (धरती पर) भेजी है." नासा ने आगे लिखा कि इंसनाइट जहां है वो जगह समतल है जिसे इलिशियम प्लैनिशिया कहतै हैं लेकिन ये सतह के नीचे काम करेगा जहां ये मंगल की गहरी सतह का अध्ययन करेगा.
आपको बता दें कि इंसाइट दो साल के मिशन पर मंगल से सिस्मिक वेव्स और हीट जैसी जानकारी को धरती पर भेजेगा. इस मिशन पर ऐसे उपकरणों को भेजा गया है जिसके सहारे ग्रह के तापमान जैसी जानकारी इकट्ठा करने का प्रयास होगा. 1976 के बाद से नासा ने नौवीं बार मंगल पर पहुंचने का यह प्रयास किया गया है. अमेरिका के पिछले प्रयास को छोड़कर बाकी सभी सफल रहे हैं. पिछली बार नासा का अंतरिक्ष यान क्यूरियोसिटी रोवर के साथ 2012 में मंगल पर उतरा था.
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