Summer Of 2023: नासा ने धरती पर तापमान में बदलावों को लेकर एक खुलासा किया है. नासा के मुताबिक 2023 में गर्मी के मौसम के दौरान के तापमान ने सैंकड़ों साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. न्यूयॉर्क में नासा के गोडार्ड इंस्टीट्यूट ऑफ स्पेस स्टडीज (जीआईएसएस) के वैज्ञानिकों के मुताबिक, 1880 में वैश्विक रिकॉर्ड शुरू होने के बाद से 2023 की गर्मी में पृथ्वी की तापमान सबसे ज्यादा गर्म था.


नासा के रिकॉर्ड में जून, जुलाई और अगस्त के महीने संयुक्त रूप से किसी भी दूसरे गर्मी के महीनों की तुलना में 0.41 डिग्री फ़ारेनहाइट (0.23 डिग्री सेल्सियस) ज्यादा गर्म थे. जबकि 1951 और 1980 के बीच की औसत गर्मियों की तुलना में 2.1 डिग्री फारेनहाइट (1.2 डिग्री सेल्सियस) ज्यादा गर्म थे. अकेले अगस्त में 2.2 डिग्री फारेनहाइट (1.2 डिग्री सेल्सियस) ज्यादा गर्म था, जो कि औसत से अधिक गर्म महीना था.


1980 के आधार औसत से आगे निकल गया तापमान


यह नया रिकॉर्ड ऐसे समय में आया है जब दुनिया के अधिकांश हिस्सों में असाधारण गर्मी पड़ रही है, जिससे कनाडा और हवाई में घातक रूप से जंगल की आग फैल रही है, और दक्षिण अमेरिका, जापान, यूरोप और अमेरिका में गर्मी की लहरें बढ़ रही हैं, जबकि इटली, ग्रीस और मध्य यूरोप में गंभीर वर्षा होने की संभावना है.


नासा के मुताबिक, तापमान का विश्लेषण इसमें अंतर की गणना करता है. तापमान की विसंगति से पता चलता है कि 1951 से 1980 के आधार औसत से कितना आगे निकल गया है. नासा हजारों मौसम विज्ञान केंद्रों से मिली सतही वायु तापमान डेटा के साथ-साथ जहाज और बोया-आधारित (समुद्र या नदी में तैरते हुए) उपकरणों से समुद्र की सतह के तापमान डेटा से तापमान का रिकॉर्ड रखता है. इसे GISTEMP के रूप में जाना जाता है.


इन ताजा डेटा का विश्लेषण उन तरीकों का उपयोग करके किया जाता है जो दुनिया भर में तापमान स्टेशनों की अलग-अलग दूरी और शहरी ताप प्रभावों को ध्यान में रखते हैं.


बढ़ते तापमान की वजह क्या है?


2023 में हीट दुनिया के कई देशों में रिकॉर्ड गर्मी की वजह बताते हुए दक्षिणी कैलिफोर्निया में नासा की जेट प्रोपल्शन प्रयोगशाला में जलवायु वैज्ञानिक और समुद्र विज्ञानी जोश विलिस ने कहा, "अल नीनो की वापसी के वजह से आंशिक रूप से बढ़ा हुआ समुद्र की सतह का अत्यधिक उच्च तापमान अभूतपूर्व गर्मी के लिए काफी हद तक जिम्मेदार था."


अल नीनो एक प्राकृतिक जलवायु घटना है जिसमें मध्य और पूर्वी उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागर का गर्म पानी उत्तर और दक्षिण अमेरिका की तरफ फैलता है और फिर जिस वजह से पूरी दुनिया का तापमान बढ़ता है. इस वजह से बाढ़ और सूखे जैसी स्थिति दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में बनती है. अल नीनो का प्रभाव हर दो से सात साल के अंतराल पर दिखता है.


ये भी पढ़ें:
धर्म निरपेक्ष से अचानक नेपाल 'हिंदू राष्ट्रवाद' की तरफ क्यों बढ़ने लगा ? क्या ईसाईयों की बढ़ती आबादी है वजह