Myanmar Earthquake Junta : भारत के पड़ोसी देश की मुश्किलें खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं. पिछले साल से गृहयुद्ध में फंसे पूरे म्यांमार में शुक्रवार (28 मार्च) को आए दो भयानक भूकंप के झटकों ने तबाही मचा दी. इस तबाही में 1700 से ज्यादा लोगों की अपनी जान गवां दी और 3400 से ज्यादा घायल हो गए. हजारों लोगों के सिर से छत छिन गई है.
वहीं, इस भयानक प्राकृतिक आपदा से ग्रस्त म्यांमार में अब देश की जुंटा सैन्य शासन ने भी अपना कहर मचाना शुरू कर दिया है. म्यांमार के जुंटा शासन ने देश के कई भूकंप प्रभावित क्षेत्रों में हवाई हमलों को अंजाम दिया है. सैन्य शासन ने ये हवाई हमले जुंटा के विद्रोहियों के ऊपर किए हैं. जुंटा शासन के खिलाफ म्यांमार में सशस्त्र आंदोलन करने वाले एक समूह ने रविवार (30 मार्च) को यह आरोप लगाया है.
भूंकप प्रभावित क्षेत्रों में जुंटा का कहर
म्यांमार के सबसे पूराने सशस्त्र समूहों में से एक केरेन नेशनल यूनियन ने रविवार (30 मार्च) को एक बयान जारी किया है. इस बयान में यूनियन ने कहा, “देश की जनता भूकंप के तबाही से पीड़ित है और दूसरी तरफ सेना नागरिक इलाकों को निशाना बनाकर हवाई हमले करने में लगी हुई है.”
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, यूनियन ने कहा, “देश के जुंटा सैन्य शासन को इस मुश्किल समय में राहत और बचाव कार्यों को विशेष रूप से प्राथमिकता देनी चाहिए, लेकिन इस शासन का ध्यान अपने लोगों के खिलाफ हमला करने पर है.”
मलबों के बीच फंसे हैं लोगों के शव, आ रही दुर्गंध
म्यांमार में शुक्रवार (28 मार्च) को आए भूकंप ने देश के कई शहरों में जबरदस्त तबाही मचाई है. इससे देश की सड़कें, पुल, हवाई अड्डों जैसे कई बुनियादी संरचनाएं पूरी तरह से बर्बाद हो चुकी है. सड़कों के क्षतिग्रस्त होने और संचार व्यवस्था के ध्वस्त होने के कारण लोगों के राहत और बचाव कार्यों में परेशानी हो रही है.
वहीं, काफी संख्या में लोग अभी इमारतों के फैले मलबे में अपनी जिंदगी की लड़ाई लड़ रहे हैं. वहीं, जिन लोगों की मौत हो चुकी है और उनके शव मलबों के बीच फंसे हैं, अब उनसे दुर्गंध आने लगी है. देश के मांडले समेत कई शहर शवों से निकलने वाली दुर्गंध की चपेट में है. संयुक्त राष्ट्र ने भी म्यांमार में चिकित्सा आपूर्ति की कमी की ओर ध्यान दिया है.