Germany Muslim Population: जर्मनी में बीते कुछ वर्षों में मुस्लिम आबादी में तेजी से वृद्धि हुई है, और इसके पीछे प्रमुख रूप से 2015 का शरणार्थी संकट जिम्मेदार है. हालांकि, इसकी नींव 1960 के दशक में तुर्की से आए श्रमिकों द्वारा रखी गई थी, लेकिन एंजेला मर्केल के नेतृत्व में 2015 में जर्मनी द्वारा लाखों शरणार्थियों को शरण देने के फैसले ने इस वृद्धि को तेज कर दिया.
जर्मन सरकार के आंकड़ों के अनुसार, 2009 तक जर्मनी में मुस्लिम आबादी लगभग 30 लाख थी, जो उस समय कुल जनसंख्या का लगभग 4 फीसदी थी. लेकिन 2015 के शरणार्थी संकट के बाद, यह संख्या बढ़कर 50 लाख से अधिक हो गई, जो अब जर्मनी की कुल जनसंख्या का 6-7 फीसदी है. इनमें से अधिकतर शरणार्थी सीरिया, अफगानिस्तान और अफ्रीकी देशों से आए हैं, जिनका प्रभाव विशेष रूप से जर्मनी के शहरी इलाकों में देखा जा सकता है.
शहरी क्षेत्रों पर असरजर्मनी के बड़े शहरों जैसे बर्लिन, हैम्बर्ग, कोलोन, और म्यूनिख में मुस्लिम आबादी का घनत्व तेजी से बढ़ा है. उदाहरण के लिए, बर्लिन के कुछ स्कूलों में मुस्लिम छात्रों की संख्या 80 फीसदी से अधिक हो गई है. इन शहरी इलाकों में, मुस्लिम शरणार्थियों की बढ़ती संख्या ने सांस्कृतिक और धार्मिक तनाव को बढ़ावा दिया है.
प्रभावित क्षेत्र और सामाजिक तनावबर्लिन के न्युकोलन और क्रॉएत्जबर्ग जैसे इलाकों में मुस्लिम आबादी के बढ़ते घनत्व के साथ सामाजिक तनाव भी बढ़ा है. हैम्बर्ग, जहां 2024 में विवादास्पद रैली आयोजित की गई थी, भी इस बदलाव का एक उदाहरण है. इसी तरह, बवेरिया राज्य और नॉर्थ राइन-वेस्टफेलिया के औद्योगिक क्षेत्रों में भी शरणार्थियों की बड़ी संख्या ने रोजगार और आवास के लिए प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा दिया है, जिससे तनाव और हिंसा की घटनाएं बढ़ रही हैं.
जनसांख्यिकी बदलाव और हिंसाDW की रिपोर्ट के मुताबिक मुस्लिम आबादी में तेजी से हो रही बढ़ोतरी ने जर्मनी की डेमोग्राफी को बदल दिया है. इसका असर यह हो रहा है कि जर्मनी में सांस्कृतिक और सामाजिक तनाव बढ़ रहे हैं. उदाहरण के लिए, 2016 का कोलोन गैंगरेप जिसने पूरे जर्मनी को हिलाकर रख दिया था, उत्तरी अफ्रीकी मूल के शरणार्थियों द्वारा किया गया था. इसी प्रकार, वुर्जबर्ग ट्रेन हमला और बर्लिन क्रिसमस मार्केट हमला जैसे आतंकी कृत्य भी मुस्लिम शरणार्थियों से जुड़े थे.
हालिया घटनाएं और बढ़ता तनाव2024 में हैम्बर्ग में मुस्लिम इंटरएक्टिव नामक समूह की तरफ से आयोजित रैली में शरिया कानून की मांग और हिंसक नारे लगाए गए, जिसने जर्मनी के समाज में चिंता बढ़ा दी. इसके अलावा, 2021-2023 के बीच सीरियाई शरणार्थियों से जुड़े अपराधों में 20 फीसदी की वृद्धि हुई, जो जर्मनी के नागरिकों में असुरक्षा की भावना पैदा कर रही है. इस बढ़ते सामाजिक तनाव का फायदा उठाते हुए दक्षिणपंथी समूह जैसे ‘एल्टरनेटिव फॉर जर्मनी’ (AfD) को भी समर्थन मिल रहा है.
मुस्लिम आबादी की तेज वृद्धिजर्मनी में शरणार्थी संकट और मुस्लिम आबादी की तेज वृद्धि ने देश की सांस्कृतिक और धार्मिक संरचना में महत्वपूर्ण बदलाव लाए हैं. इन जनसांख्यिकीय परिवर्तनों से जुड़े सामाजिक तनाव और हिंसा की घटनाओं ने जर्मनी के समाज में नई चुनौतियां पैदा की हैं. यह देखना बाकी है कि आने वाले वर्षों में जर्मनी इन सामाजिक और सांस्कृतिक तनावों से कैसे निपटेगा.