Moon Crater Updates : चांद पर नई-नई खोज के लिए कई देश रिसर्च कर रहे हैं. अब वैज्ञानिकों ने बड़ी रिसर्च के बाद चांद पर बना 22.5 किमी चौड़ा गड्ढा खोज निकाला है, जिसे दूसरा चंद्रमा भी कहा जा रहा है, क्योंकि यह चंद्रमा से ही आया है. वैज्ञानिकों के मुताबिक, यह एस्टेरॉयड (उल्कापिंड) चंद्रमा के जिओर्डानो ब्रूनो क्रेटर से आया है, जो चांद पर बना 22.5 किमी चौड़ा गड्ढा है. इस एस्टेरॉयड HJ03 को कामो ओलेवा के नाम से भी जाना जाता है. 2016 में इसे खोजा गया था. आमतौर पर निकट पृथ्वी एस्टेरॉयड (NEA) मंगल और बृहस्पति के बीच बंद मुख्य एस्टेरॉयड बेल्ट से आते हैं, लेकिन कामो ओलेवा बाकियों से अलग है. वैज्ञानिकों ने दावा किया कि यह करीब 130 से 330 फीट चौड़ा है. 2016 में इसकी खोज Pan STARRS ने की. यह हवा में मौजूद निकट पृथ्वी एस्टेरॉयड को खोजने और ट्रैक करने के लिए डिजाइन की गई दूरबीनों की शृंखला है. कामो ओलेवा पृथ्वी का एक अर्ध उपग्रह है, क्योंकि यह सूर्य की परिक्रमा करने के बावजूद पृथ्वी का चक्कर लगाता हुआ प्रतीत होता है. एक्सप्रेस यूके की रिपोर्ट में दावा है कि लाखों साल पहले जब यह चट्टान चंद्रमा से टकराई तो इसका व्यास लगभग 1 किमी था.


एक किलोमीटर का टुकड़ा टकराने से हुआ गड्ढा
एक और रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार, यह एस्टेरॉयड चंद्रमा के दूर जिओर्डानो ब्रूनो क्रेटर से आता है. क्रेटर 22 किमी चौड़ा है, जो चंद्रमा की सतह पर अपने आकार का सबसे बड़ा क्रेटर माना जाता है. इस क्रेटर का निर्माण 10 लाख से 1 लाख साल के बीच एक किमी चौड़ी चट्टान के चंद्रमा पर टकराने के कारण हुआ था. 2021 में भी एरिजोना यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों की एक टीम ने दूरबीन के इस्तेमाल से सुझाव दिया था कि यह चंद्रमा का एक टुकड़ा हो सकता है. पिछले साल एक टीम ने यह पता लगाने के बाद सहमति जताई थी कि चंद्रमा पर हुई लाखों सालों की टक्कर से कामो ओलेवा की तरह अन्य चट्टानें ने भी अपना रास्ता खोजा होगा. शोध में ये भी बताया गया कि चंद्रमा पूरी तरह गड्ढों से भरा है, जो एस्टेरॉयड या उल्कापिंडों के कारण बने हैं.