अमेरिका में रहने वाले तेलंगाना के महबूबनगर निवासी युवक मोहम्मद निजामुद्दीन की गोलीबारी में मौत हो गई. जानकारी के अनुसार, निजामुद्दीन 2016 में उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका गए थे. उन्होंने फ्लोरिडा यूनिवर्सिटी से एमएस की डिग्री पूरी की और बाद में एक कंपनी में नौकरी कर रहे थे. छह महीने पहले उनकी नौकरी का अनुबंध समाप्त हो गया था, जिसके बाद वे अपने कुछ दोस्तों के साथ एक कमरे में रह रहे थे.
इसी दौरान निजामुद्दीन और उनके दोस्तों के बीच आपसी विवाद हो गया, जिसकी सूचना पुलिस को दी गई. बताया जाता है कि पुलिस के मौके पर पहुंचने के बावजूद विवाद शांत नहीं हुआ. स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को गोलीबारी करनी पड़ी, जिसमें एक गोली निजामुद्दीन को लगी और उनकी मौके पर मौत हो गई. घटना की सूचना मिलते ही अमेरिका में रहने वाले उनके रिश्तेदार मौके पर पहुंचे.
निजामुद्दीन के छोटे भाई ने क्या बतायानिजामुद्दीन के छोटे भाई मोइनुद्दीन ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा कि हमें 18 सितंबर को सूचना मिली, जबकि घटना 3 सितंबर की सुबह हुई. मेरे भाई का शव वहां एक अस्पताल के मुर्दाघर में पड़ा है. हमारे माता-पिता कुछ समझ नहीं पा रहे हैं कि क्या हुआ. मौत की खबर सुनकर मेरी मां सन्न हो गईं, वो पूरी तरह से खामोश हो गई हैं.
अमेरिका में कई दिनों से परेशान था निजामुद्दीन उन्होंने आगे कहा कि वो वह हफ़्ते में एक या दो बार वीडियो कॉल करता था. वह कई दिनों से बहुत परेशान था क्योंकि उसे अपने रूममेट्स के साथ कुछ समस्याएं थीं, लेकिन हमें नहीं पता था कि यह इतना बुरा होगा. उसने नस्लीय भेदभाव, नफ़रत और रूममेट्स द्वारा उसके प्रति आक्रामक व्यवहार की शिकायत की थी. किसी ने हमें यह नहीं बताया कि आखिर ऐसा क्या हुआ था जिसके लिए पुलिस को बुलाना पड़ा. एक निर्दोष व्यक्ति जो हमेशा अपने काम से काम रखता था और दूसरों के प्रति दयालु था, उसे इस तरह गोली क्यों मारी गई?.
विदेश मंत्रालय से शव लाने की मांगजानकारी के अनुसार, मृतक के पिता हसनुद्दीन ने केंद्रीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर से अनुरोध किया है कि उनके बेटे के शव को भारत लाने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएं. स्थानीय प्रशासन और भारतीय दूतावास से इस मामले में सहायता मांगी है.
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