वॉशिंगटन: अमेरिका में कोरोना की जिस पहली वैक्सीन का ट्रायल किया गया है वह वैज्ञानिकों की उम्मीद के मुताबिक लोगों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है. इस वैक्सीन का ट्रायल अब फाइनल स्टेज में है. इस वैक्सीन को नेशनल इंस्टीट्यूट्स ऑफ हेल्थ ऐंड मॉडर्ना इंक में फाउची के सहकर्मियों ने बनाया है. 27 जुलाई के आसपास 30,000 लोगों पर यह पता लगाने के लिए शोध होगा कि यह वैक्सीन कोरोना वाायरस से बचाव में कितनी प्रभावशाली है. हालांकि मंगलवार को शोधकर्ताओं ने 45 लोगों पर किए शुरुआती परीक्षण के निष्कर्ष बताए जिनके मुताबिक इस टीके से रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है.


न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में अनुसंधानकर्ताओं के हवाले से कहा गया कि उन्होंने शोध में पाया कि इन लोगों के रक्त में संक्रमण को खत्म करने वाली एंटीबॉडी विकसित हो गईं और इनका स्तर कोविड-19 से उबरे लोगों में बनी एंटीबॉडी जैसा ही था.


साल के अंत तक रिजल्ट आने की उम्मीद
सिएटल में केसर परमानेंट वॉशिंगटन रिसर्च इंस्टीट्यूट की डॉ. लीजा जैक्सन जिन्होंने इस शोध की अगुवाई की, उनका कहना है, "यह एक महत्वपूर्ण कदम है जिससे यह पता चलेगा कि वैक्सीन संक्रमण से बचाव कर पाती है या नहीं." सरकार को उम्मीद है कि इसके परिणाम साल के अंत तक सामने आ जाएंगे. इस वैक्सीन की एक महीने के अंतर पर दो खुराक दिया जाना जरूरी है. इसके कोई गंभीर दुष्परिणाम नहीं हैं.


टीका विशेषज्ञ और वांडेरबिल्ट यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर से जुड़े डॉ विलियम शाफनर ने शुरुआती परिणामों को ‘एक अच्छा पहला कदम’ बताया. उन्होंने उम्मीद जताई कि अंतिम परीक्षण ये जवाब देने में सक्षम होंगे कि यह वास्तव में सुरक्षित और कारगर है. दुनियाभर में कोविड-19 के करीब दो दर्जन टीकों पर विभिन्न चरणों में काम चल रहा है.


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