अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार मिलने को लेकर ताइवान के राष्ट्रपति लाई चिंग-ते का बड़ा बयान आया है. उन्होंने एक अमेरिकी रेडियो शो और पॉडकास्ट में कहा कि अगर डोनाल्ड ट्रंप चीन को ताइवान के खिलाफ बल प्रयोग छोड़ने के लिए मना सकें तो उन्हें नोबेल प्राइज मिलना चाहिए. 

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ताइवान के राष्ट्रपति ने कहा कि औपचारिक संबंधों की अनुपस्थिति के बावजूद अमेरिका चीन पर ताइवान के दावे के खिलाफ है और वो ताइवान का सबसे महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय समर्थक है, लेकिन जब से ट्रंप ने पदभार संभाला है उन्होंने किसी भी नए हथियार के सौदे को लेकर उनके साथ कोई घोषणा नहीं की है.

दक्षिण कोरिया में शी जिनपिंग से मिल सकते हैं ट्रंपरॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रंप इस महीने के अंत में दक्षिण कोरिया में एशिया-प्रशांत क्षेत्र के नेताओं की बैठक में शी जिनपिंग से मिल सकते हैं. लाई ने इस हफ़्ते द क्ले ट्रैविस एंड बक सेक्सटन शो में ट्रंप की अगस्त में की गई टिप्पणियों का जिक्र किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि शी जिनपिंग ने उनसे कहा है कि जब तक वह अमेरिकी राष्ट्रपति हैं, चीन ताइवान पर आक्रमण नहीं करेगा.

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ट्रंप को कब मिलेगा नोबेल शांति पुरस्कारलाई ने कहा कि हमें उम्मीद है कि राष्ट्रपति ट्रंप का समर्थन मिलता रहेगा. अगर राष्ट्रपति ट्रंप शी जिनपिंग को ताइवान के ख़िलाफ़ किसी भी सैन्य आक्रमण को हमेशा के लिए छोड़ने के लिए राज़ी कर लें तो राष्ट्रपति ट्रंप निस्संदेह नोबेल शांति पुरस्कार विजेता होंगे. बता दें कि डोनाल्ड ट्रंप खुद कई मौकों पर कह चुके हैं कि उन्हें अब नोबेल शांति पुरस्कार मिलना चाहिए, क्योंकि उन्होंने कई देशों की न सिर्फ जंगें रुकवाई हैं बल्कि उनके बीच शांति समझौता भी कराया है. इस साल के पुरस्कार की घोषणा शुक्रवार को नॉर्वे में की जाएगी.

ताइवान को लेकर स्पष्ट नहीं है अमेरिकी नीतिराष्ट्रपति लाई चिंग-ते ने कहा कि चीन की बढ़ती सैन्य गतिविधियां सिर्फ ताइवान के लिए ही चुनौती नहीं हैं. ये ताइवान पर कब्ज़ा करने से कहीं आगे तक फैली हुई है. एक बार ताइवान पर कब्ज़ा हो जाने के बाद चीन अंतरराष्ट्रीय मंच पर अमेरिका से मुकाबला करने के लिए और मजबूत हो जाएगा, जिससे अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था और कमजोर हो जाएगी.

अमेरिका ताइवान को अपनी रक्षा करने के लिए हथियार और अन्य जरूरी सामग्री देने के लिए कानूनी रूप से बाध्य है. इसके बावजूद अब तक ये स्पष्ट नहीं हुआ है कि अगर चीन ताइवान पर हमला करता है तो अमेरिका सैन्य जवाब देगा या नहीं. चीन लाई को अलगाववादी मानता है और बार-बार उनकी बातचीत की पेशकश को भी ठुकरा चुका है.

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