नेपाल में तख्तापलट के बाद (10 सितंबर 2025) को पूर्व प्रधानमंत्री केपी ओली की प्रतिक्रिया सामने आई है. ओली ने शिवपुरी से Gen-Z विरोध प्रदर्शन में शामिल युवाओं के लिए लिखित संदेश भेजा है. उन्होंने विरोध प्रदर्शनों के दौरान पुलिस की गोलीबारी में अपनी जान गंवाने वाले युवाओं को श्रद्धांजलि दी. ओली ने लिखा, "सरकारी कार्यालयों में आगजनी और तोड़फोड़ अचानक नहीं हुई. आपके मासूम चेहरों का इस्तेमाल गुमराह करने के लिए किया जा रहा है."

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लिपुलेख पर अपने पुराने रुख को दोहराया

काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक केपी ओली ने एक बार फिर लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा पर नेपाल के दावे सहित राष्ट्रीय मुद्दों पर अपने रुख को दोहराया. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र जो नागरिकों को बोलने, आने-जाने और सवाल करने का अधिकार देता है, उसकी रक्षा करना उनके जीवन का उद्देश्य रहा है.

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केपी ओली ने 1994 में गृहमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल को याद करते हुए कहा कि उनके समय में एक भी गोली नहीं चली थी और यह भी दोहराया कि वह हमेशा से शांति के पक्षधर रहे हैं. हालांकि, उन्होंने Gen-Z प्रदर्शनों के पीछे मौजूद शक्तियों पर आरोप लगाया कि वे युवा प्रदर्शनकारियों का इस्तेमाल तोड़फोड़ के लिए कर रहे हैं.

नेपाल में अंतरिम सरकार बनाने की कवायद तेज

केपी ओली का बयान ऐसे समय में आया है जब नेपाल में अंतरिम सरकार बनाने को लेकर पहल तेज हो गई है. सोमवार (8 सितंबर 2025) को Gen-Z विरोध प्रदर्शन में 30 लोगों की मौत हो गई और सार्वजनिक संपत्ति को भारी नुकसान पहुंचा. इस्तीफे की बढ़ती मांगों के बावजूद केपी ओली मंगलवार (9 सितंबर) दोपहर तक पद पर बने रहे.

नेपाल की पहली महिला चीफ जस्टिस सुशीला कार्की का नाम अंतरिम पीएम की रेस में सबसे आगे है. काठमांडू के मेयर बालेन ने भी सुशीला कार्की को अपना समर्थन दे दिया है. इस बीच सुशीला कार्की ने कहा है कि वह सरकार का नेतृत्व करने के लिए तैयार हैं क्योंकि GEN-Z उन्हें बहुत पसंद करते है.

ओली के आवास को प्रदर्शनकारियों ने फूंका

नेपाल में प्रदर्शनकारियों ने कर्फ्यू और सुरक्षा बलों की भारी तैनाती का उल्लंघन करते हुए आगजनी की और विभिन्न प्रमुख इमारतों और प्रतिष्ठानों पर धावा बोला. ओली के इस्तीफे से कुछ घंटे पहले, प्रदर्शनकारियों ने बालकोट में उनके निजी आवास में आग लगा दी. प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल, पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दाहाल प्रचंड, संचार मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरुंग, पूर्व गृह मंत्री रमेश लेखक और पूर्व प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा के आवासीय परिसरों पर हमला किया.