हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का मामला एक बार फिर सुर्खियों में है. एक नई खोजी डॉक्यूमेंट्री के मुताबिक ब्रिटिश खुफिया एजेंसियों द्वारा की गई बातचीत ने कनाडा के अधिकारियों को भारत और खालिस्तानी नेता की हत्या के बीच संबंध स्थापित करने में मदद की.
ब्लूमबर्ग ओरिजिनल्स की डॉक्यूमेंट्री में दिखाए गए इन दावों ने भारत और कनाडा के तनावपूर्ण संबंधों को सुधारने के लिए चल रहे राजनयिक प्रयासों के बीच एक नई बहस छेड़ दी है. डॉक्यूमेंट्री के अनुसार ब्रिटेन की इलेक्ट्रॉनिक खुफिया एजेंसी जीसीएचक्यू ने फोन कॉल को इंटरसेप्ट किया, जिसमें तीन संभावित टारगेट हरदीप सिंह निज्जर, अवतार सिंह खंडा और गुरपतवंत सिंह पन्नू के बारे में चर्चा होती दिखी.
क्या है डॉक्यूमेंट्री का दावा डॉक्यूमेंट्री में दावा किया गया है कि ये इंटरसेप्ट जुलाई 2023 के अंत में फ़ाइव आइज़ इंटेलिजेंस-शेयरिंग अलायंस के तहत कनाडा संग शेयर किए गए थे, जिसमें यूके, यूएस, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड शामिल हैं. रिपोर्ट बताती है कि निज्जर की हत्या की रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस (आरसीएमपी) की जांच में यह खुफिया जानकारी एक सफलता साबित हुई है.
कड़ी शर्तों के तहत दी गई खुफिया जानकारी कथित तौर पर खुफिया जानकारी कड़ी शर्तों के तहत दी गई थी. इसे ओटावा में व्यक्तिगत रूप से पहुंचाया गया और इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम से दूर रखा गया. कथित तौर पर इंटरसेप्ट की गई बातचीत से संकेत मिलता है कि भारत सरकार की ओर से काम करने वाले व्यक्तियों ने इस बात पर चर्चा की थी कि निज्जर को कैसे सफलतापूर्वक खत्म किया गया.
इन खुलासों ने ब्रिटेन में नए सिरे से जांच शुरू कर दी है. सिख फेडरेशन यूके ने कथित तौर पर सुरक्षा मंत्री डैन जार्विस को पत्र लिखकर स्पष्टीकरण मांगा है कि सिख समुदायों का प्रतिनिधित्व करने वाले सांसदों द्वारा पूछे जाने पर ब्रिटिश अधिकारियों ने ये खुफिया जानकारी क्यों नहीं बताई.
कनाडा पर खालिस्तानियों को जगह देने का आरोपभारत ने निज्जर की हत्या में किसी भी तरह की संलिप्तता से इनकार किया है और आरोपों को बेतुका और राजनीति से प्रेरित बताया है. नई दिल्ली ने बार-बार ओटावा पर कनाडा की धरती से चरमपंथी खालिस्तानी तत्वों को जगह देने का आरोप लगाया है.
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