इजरायल और हमास के बीच दो साल से जारी संघर्ष के बीच कई बड़े देश फिलिस्तीन को स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता दे रहे हैं. ब्रिटेन, फ्रांस, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों ने इसे खुलकर समर्थन दिया है. लेकिन इटली ने अब तक ऐसा कोई फैसला नहीं लिया, जिसके चलते राजधानी रोम और मिलान में फिलिस्तीनी समर्थक विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं. इस बीच प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी ने साफ किया है कि वह फिलिस्तीन को मान्यता देने के विरोध में नहीं हैं, लेकिन इसके लिए दो शर्तें पूरी होनी चाहिए.

Continues below advertisement

पीएम मेलोनी की दो शर्तेंन्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) की बैठक में मीडिया से बातचीत करते हुए पीएम मेलोनी ने कहा कि संसद में फिलिस्तीन को मान्यता देने पर प्रस्ताव लाया जाएगा. उन्होंने कहा कि इस कदम से पहले दो शर्तें जरूरी हैं-

  • हमास को सभी इजरायली बंधकों को तुरंत रिहा करना होगा.
  • हमास को फिलिस्तीन की सरकार और राजनीतिक प्रक्रियाओं से बाहर करना होगा.

मेलोनी ने कहा कि उनका उद्देश्य किसी भी राजनीतिक कार्रवाई में स्थिरता बनाए रखना है और फिलिस्तीनियों के लिए लंबे समय तक लाभकारी समाधान सुनिश्चित करना है.

Continues below advertisement

मान्यता देने से समस्या का समाधान नहीं होगा- मेलोनीप्रधानमंत्री ने अपने विचार रखते हुए कहा, 'व्यक्तिगत तौर पर मेरा मानना है कि केवल फिलिस्तीन को मान्यता देने से समस्या का समाधान नहीं होगा. इससे फिलिस्तीनियों के लिए ठोस नतीजे नहीं निकलेंगे. हमें यह भी सुनिश्चित करना होगा कि किसी भी तरह की राजनीतिक अस्थिरता पैदा न हो.'

पश्चिमी देशों का बदलता रुखएशियाई देशों ने लंबे समय से फिलिस्तीन को मान्यता दी हुई है. लेकिन अमेरिका और इजरायल के साथ करीबी मित्रता बनाए रखने वाले पश्चिमी देशों ने लंबे समय तक फिलिस्तीन को मान्यता देने से परहेज किया. गाजा में दो साल से जारी हिंसा और संघर्ष के चलते अब कुछ पश्चिमी देशों ने अपनी पुरानी विदेश नीति से हटकर फिलिस्तीन को एक राष्ट्र के रूप में मान्यता देना शुरू कर दिया है.