अमेरिक के सबसे बड़े शहरों में से एक न्यूयॉर्क के 34 वर्षीय नवनिर्वाचित मेयर जोहरान ममदानी ने अपने कार्यकाल का पहला दिन भारतीय और नेपाली व्यंजनों के साथ शुरू किया. जैक्सन हाइट्स स्थित लालिगुरास बिस्ट्रो में उन्होंने अमेरिकी कांग्रेस सदस्य एलेक्ज़ेंड्रिया ओकासियो-कोर्टेज़ (AOC) के साथ लंच शेयर किया, एलेक्ज़ेंड्रिया ओकासियो-कोर्टेज़ वही नेता है, जिन्होंने चुनाव के दौरान ममदानी का खुलकर समर्थन किया था.

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एक्स (Twitter) पर पोस्ट की गई तस्वीरों में दोनों नेताओं को मोमोज, आलू-दाम और पनीर टिक्का के साथ चाय का आनंद लेते देखा गया. यह पल केवल दो राजनेताओं की मुलाकात नहीं बल्कि दो विचारधाराओं के मिलन का प्रतीक भी था. ये कदम प्रगतिशील राजनीति और सांस्कृतिक विविधता के रूप में देखा जा रहा है. ममदानी ने अपनी पोस्ट में लिखा, “नवनिर्वाचित मेयर के रूप में पहला दिन इंटरव्यू, घोषणाओं और बैठकों से भरा रहा, लेकिन सबसे खास रहा ओकासियो-कोर्टेज़ के साथ भारतीय लंच.

ऐतिहासिक जीत एक नए युग की शुरुआत

जोहरान ममदानी की जीत ने अमेरिकी राजनीति में कई ऐतिहासिक पड़ाव बनाए. वे न्यूयॉर्क जैसे विश्व प्रसिद्ध शहर के पहले मुस्लिम और दक्षिण एशियाई मूल के मेयर बने. साथ ही, वे एक सदी में इस पद पर पहुंचने वाले सबसे कम उम्र (34 वर्ष) के नेता हैं. उनका चुनावी अभियान धन असमानता को कम करने, आवास को किफायती बनाने और सामाजिक समानता को बढ़ावा देने पर केंद्रित था. उन्होंने खुद को लोकतांत्रिक समाजवादी बताते हुए कहा, ''मैं जवान हूं, मुसलमान हूं और इन सबके लिए माफी नहीं मांगता.”

सांस्कृतिक जुड़ाव और भारत से रिश्ता

जोहरान ममदानी का जन्म युगांडा में हुआ, लेकिन उनके माता-पिता भारत से हैं. पिता महमूद ममदानी एक फेमस स्कॉलर और मां मीरा नायर, एक मशहूर फिल्म निर्माता हैं. ममदानी का भारत से भावनात्मक जुड़ाव उनके भाषणों और कार्यों में झलकता है. अपनी जीत के भाषण में उन्होंने पंडित जवाहरलाल नेहरू के प्रसिद्ध Tryst with Destiny भाषण का उद्धरण देकर अपनी जड़ों को सम्मान दिया. इतना ही नहीं, जब वे मंच से उतरे तो बैकग्राउंड में बज रहा गीत था बॉलीवुड फिल्म का गाना धूम मचा ले.

न्यूयॉर्क की राजनीति में दक्षिण एशियाई प्रभाव

अमेरिका में दक्षिण एशियाई समुदाय अब 5 मिलियन से अधिक हो चुका है और यह समुदाय राजनीति में तेजी से प्रभावशाली हो रहा है. कमला हैरिस से लेकर अब जोहरान ममदानी तक यह वह पीढ़ी है जो अपनी पहचान को गर्व से अपनाकर अमेरिकी राजनीति को नए रंग में ढाल रही है. जहां निक्की हेली और बॉबी जिंदल जैसे नेताओं ने अपने भारतीय मूल से दूरी बनाई, वहीं ममदानी ने इसे गर्व के साथ अपनी ताकत बनाया.

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