अमेरिका के मिसिसिपी यूनिवर्सिटि में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान ऐसा पल आया, जिसने पूरे हॉल को सन्न कर दिया. अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस जब मंच पर माइग्रेशन पॉलिसी पर बोल रहे थे, तभी पश्मीना शॉल पहने भारतीय मूल की एक महिला छात्रा ने खड़े होकर उनसे सवाल पूछा. वेंस ने अपने भाषण में कहा था कि अमेरिका को अब कानूनी प्रवासियों की संख्या घटानी चाहिए, क्योंकि बढ़ती जनसंख्या से समाज पर बोझ बढ़ रहा है.

Continues below advertisement

इस पर छात्रा ने सीधे उनसे पूछा कि आप हमें अमेरिकी सपना दिखाकर यहां लाए, हमने पढ़ाई की, काम किया, टैक्स दिया, अब आप कहते हैं कि हम ज़्यादा हैं? हमें बाहर निकालना चाहते हैं? छात्रा के सवाल के बाद सभागार तालियों से गूंज उठा और माहौल कुछ देर के लिए गर्म हो गया.

वेंस का जवाब और बढ़ता तनाव

Continues below advertisement

जेडी वेंस ने छात्रा के सवाल पर शांत रहने की कोशिश की. उन्होंने कहा कि वे कानूनी प्रवासियों का सम्मान करते हैं, लेकिन हर साल लाखों नए लोगों को देश में आने देने से सामाजिक संतुलन बिगड़ सकता है. उन्होंने कहा कि अमेरिका को अपने नागरिकों की प्राथमिकताओं को ध्यान में रखकर प्रवासन की गति कम करनी चाहिए. छात्रा ने फिर कहा, “यह हंगामा नहीं, सवाल है. हम वही पूछ रहे हैं, जो हर प्रवासी महसूस कर रहा है.'' वेंस ने मुस्कराते हुए कहा कि बातचीत जरूरी है, लेकिन देश की नीतियां भावना नहीं, संतुलन पर आधारित होती हैं.

धर्म और पहचान पर भी उठा सवाल

बातचीत यहीं खत्म नहीं हुई. छात्रा ने वेंस से पूछा कि क्या “अमेरिका से प्यार करने के लिए ईसाई होना जरूरी है?” यह सवाल इसलिए खास था क्योंकि वेंस की पत्नी उषा वेंस भारतीय मूल की हिंदू हैं. इस पर उपराष्ट्रपति ने कहा कि मेरी पत्नी हिंदू हैं और मैं ईसाई. मैं चाहता हूं कि वह हमारे धर्म को समझें, लेकिन अगर वह न चाहें तो यह उनका अधिकार है. ईश्वर ने हर व्यक्ति को अपनी राह चुनने की आजादी दी है.” उनका यह जवाब सुनकर माहौल कुछ शांत हुआ, लेकिन वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर छा गई. हज़ारों भारतीय-अमेरिकी यूजर्स ने छात्रा के साहस की तारीफ की और कहा कि उसने हर प्रवासी की आवाज बनकर बात की.

भारतीय छात्रों और पेशेवरों में बढ़ती चिंता

यह घटना ऐसे समय में हुई है, जब अमेरिका की प्रवासन नीतियां लगातार सख्त होती जा रही हैं. कई भारतीय छात्र H-1B और OPT वीज़ा की नई शर्तों से परेशान हैं. हजारों वीजा रद्द हो चुके हैं और EAD (Employment Authorization) प्रक्रिया भी और जटिल बना दी गई है. भारतीय समुदाय का कहना है कि वे वर्षों से अमेरिका की अर्थव्यवस्था और इनोवेशन में योगदान दे रहे हैं, फिर भी अब उन्हें यह महसूस कराया जा रहा है कि वे बोझ हैं. इस वजह से कई युवा अपने भविष्य को लेकर असमंजस में हैं.

ये भी पढ़ें: बेंगलुरु: सॉफ्टवेयर इंजीनियर के साथ डिलीवरी फ्रॉड, 1.85 लाख रुपए के फोन की जगह निकली ये चीज