भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के ताजा बयान ने पाकिस्तान की राजनीतिक में हड़कंप मचा दिया है. एक सार्वजनिक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि सांस्कृतिक और सभ्यतागत रूप से सिंध हमेशा भारत की धारा का हिस्सा रहा है. उन्होंने यह भी जोड़ा कि इतिहास में सीमाएं कई बार बदली हैं, इसलिए भविष्य में क्या होगा. यह पहले से तय नहीं किया जा सकता. 

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राजनाथ सिंह के बयान से सिंध के मुख्यमंत्री मुराद अली शाह को मिर्ची लगी है. उन्होंने भारत के रक्षा मंत्री की टिप्पणी को असंगत, गैर-तथ्यात्मक और निराधार कल्पना कह डाला. मुराद अली शाह ने कहा कि सिंध पाकिस्तान का एक ऐसा प्रांत है, जो अपनी पहचान, अपनी भाषा और अपनी संस्कृति के साथ बेहद दृढ़ है. उसे अलग करने की बात केवल कल्पना की दुनिया में ही संभव हो सकती है. उन्होंने व्यंग्य करते हुए सलाह दी कि भारत के नेता दिन में सपने देखना छोड़ दें.

सिंध की ऐतिहासिक पहचानमुराद अली शाह ने प्रतिक्रिया में दावा करते हुए कहा कि 1936 में सिंध को ब्रिटिश शासन ने बॉम्बे प्रेसिडेंसी से अलग करके एक स्वतंत्र इकाई के रूप में स्थापित किया था. उस समय पाकिस्तान अस्तित्व में भी नहीं आया था. बता दे कि सिंध में हिंदुओं की आबादी सबसे ज्यादा है.

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राजनाथ सिंह का बयान क्यों माना जा रहा है राजनीतिक?राजनाथ सिंह ने कहा कि सभ्यताओं का रिश्ता सीमा रेखाओं में बंधा नहीं होता और सिंध सांस्कृतिक रूप से भारत से अलग नहीं हुआ है. उन्होंने आगे कहा कि आने वाले समय में सीमाओं में बदलाव संभव हो सकता है और उन्होंने संकेत दिया कि सिंध दोबारा भारत से जुड़ सकता है. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि सिंधी हिंदुओं का दुख आज भी जीवित है कि विभाजन के समय सिंध पाकिस्तान चला गया.

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