प्रधान मंत्री इमरान खान ने मंगलवार को दुनिया भर में इस्लामोफोबिया के प्रसार के लिए मुस्लिम राष्ट्रों के नेतृत्व को जिम्मेदार ठहराया. इस्लामाबाद में इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) के विदेश मंत्रियों की परिषद (सीएफएम) के 48 वें सत्र में बोलते हुए, प्रधान मंत्री ने कहा कि 9/11 की त्रासदी के बाद मुसलमानों के खिलाफ एक झूठी कहानी स्थापित की गई थी कि मुसलमान आतंकवादी हैं.


इमरान खान ने कहा, "दुर्भाग्य से, हमने इस्लामोफोबिया के इस गलत आख्यान को रोकने के लिए कुछ नहीं किया और परिणामस्वरूप, पश्चिम में सड़क पर मौजूद व्यक्ति को यह विश्वास हो गया." मेहमानों का स्वागत करते हुए, पीएम इमरान ने कहा, "पाकिस्तान के लोग इस विशेष अवसर पर बहुत खुश हैं क्योंकि हम इस साल अपनी 75 वीं वर्षगांठ भी मना रहे हैं."


'दुनिया ने मुसलमानों को गलत तरीके से आतंकवाद से जोड़ा'
इमरान खान ने कहा,"मैं विशेष रूप से हमारे ओआईसी सदस्यों को बधाई देता हूं क्योंकि संयुक्त राष्ट्र द्वारा 15 मार्च को इस्लामोफोबिया से निपटने के दिन के रूप में चिह्नित करने के लिए एक ऐतिहासिक प्रस्ताव पारित किया गया था,  इस दिन एक बंदूकधारी ने क्राइस्टचर्च में मस्जिदों पर हमला किया था." उन्होंने कहा कि दुनिया ने मुसलमानों को गलत तरीके से आतंकवाद से जोड़ा है.


इमरान ने उठाया कश्मीर का मुद्दा 
इमरान खान ने इस मौके पर कश्मीर मुद्दा उठाते हुए कहा, “भारत कश्मीर की जनसांख्यिकी को बदल रहा है और इसे मुस्लिम बहुल से मुस्लिम अल्पसंख्यक राज्य में बदल रहा है. यह एक युद्ध अपराध है.”


57 सदस्यीय ओआईसी की 48वीं सीएफएम बैठक ‘एकता, न्याय और विकास के लिए साझेदारी विकसित करने’ के विषय पर आयोजित हो रही है. इसमें लगभग 46 सदस्य देशों का प्रतिनिधित्व मंत्री स्तर पर हो रहा, जबकि बाकियों की नुमाइंदगी वरिष्ठ अधिकारी कर रहे हैं. बैठक की अध्यक्षता पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी कर रहे हैं. चीन के स्टेट काउंसलर और विदेश मंत्री वांग यी अपने पाकिस्तानी समकक्ष के निमंत्रण पर बैठक में विशेष अतिथि के रूप में शिरकत कर रहे हैं.


यह है बैठक का एजेंडा 
बैठक के एजेंडे में 2020 में नियामे में आयोजित अंतिम सीएफएम बैठक के बाद से मुस्लिम जगत को प्रभावित करने वाले घटनाक्रमों के अलावा पिछले सत्रों में लाए गए प्रस्तावों, विशेष रूप से फिलिस्तीन और अल कुद्स (यरूशलम) से जुड़े प्रस्तावों के कार्यान्वयन के लिए सचिवालय द्वारा उठाए गए कदमों की समीक्षा करना शामिल है.


इसके अलावा, इस्लामाबाद में होने वाली सीएफएम बैठक में इस्लामोफोबिया के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद से निपटने और आर्थिक, सांस्कृतिक, सामाजिक, मानवीय और वैज्ञानिक क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के मुद्दे पर भी चर्चा होगी.