नई दिल्ली: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ सीनेट में दूसरे महाभियोग की सुनवाई शुरू हो चुकी है. ऐसी कार्यवाही का सामना करने वाले डोनाल्ड ट्रंप पहले पूर्व राष्ट्रपति हैं. अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ दूसरी बार महाभियोग मामले की सीनेट के समक्ष सुनवाई हो रही है. महाभियोग के तहत उनपर चुनाव के परिणाम को पलटने के लिए छह जनवरी को अमेरिकी कैपिटल (संसद भवन) में दंगा भड़काने का आरोप लगाया गया है. वहीं अमेरिकी सीनेट का मानना है कि पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का दूसरा महाभियोग संवैधानिक है.


ट्रंप के वकीलों की दलील है कि ट्रंप ने समर्थकों की रैली को संबोधित करने के दौरान लोगों को दंगे के लिए नहीं भड़काया. बचाव पक्ष के वकीलों ने आरोप लगाया है कि सदन के महाभियोग प्रबंधक घंटे भर लंबे ट्रंप के भाषण में से सिर्फ उन्हीं हिस्सों को ले रहे हैं जो डेमोक्रेटिक पार्टी के मामले के लिए मददगार हैं. वकीलों ने रेखांकित किया कि ट्रंप ने बार-बार अपने समर्थकों से अपील की, वे शांतिपूर्ण और देशभक्त तरीके से अपनी आवाज उठाएं.


उन्होंने दलील दी कि ट्रंप की टिप्पणी अगर आप जी-जान से नहीं लड़ते हैं तो आप यह देश खोने जा रहे हैं, चुनाव सुरक्षा के सामान्य संदर्भ में की गई थी, न कि हिंसा के आह्वान के लिए थी. सुनवाई के मद्देनजर कैपिटल के आसपास सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है. वकीलों ने यह भी कहा कि कानून प्रवर्तकों ने पहले ही छह जनवरी को हिंसा होने का अंदेशा व्यक्त किया किया था, लिहाजा ट्रंप खुद हिंसा के लिए नहीं उकसा सकते थे.


महाभियोग चलाना असंवैधानिक


ट्रंप के वकीलों की दलील यह भी है कि उन्हें संविधान के पहले संशोधन के तहत संरक्षण मिला हुआ था. साथ में उन्होंने यह भी कहा है कि ट्रंप पर महाभियोग चलाना असंवैधानिक है, क्योंकि वह अब पद पर नहीं है. वकीलों की दलील है कि संविधान साधारण नागरिक के खिलाफ महाभियोग चलाने की शक्ति नहीं देता है. वहीं किसी भी गवाह को बुलाए जाने की संभावना नहीं है. ट्रंप ने भी गवाही में शामिल होने से इनकार कर दिया है.


मुकदमे का कानूनी आधार नहीं


दूसरी तरफ वकीलों का कहना है कि महाभियोग में दोषी साबित होने के बाद बचाव पक्ष (ट्रंप) को पद से हटाना होता है. लेकिन ट्रंप अब व्हाइट हाउस में नहीं हैं, इसलिए ऐसे मुकदमे का कोई कानूनी आधार नहीं है. वहीं डेमोक्रेटिक पार्टी के सदस्यों का कहना है कि पद से हटने वाले लोगों के आचरण के खिलाफ महाभियोग चलाने की ऐतिहासिक मिसालें हैं जिन्होंने पद पर रहते हुए कोई कृत्य किया है. हालांकि यह राष्ट्रपति को लेकर नहीं हैं.


वहीं दलीलें रखने की प्रक्रिया बुधवार से शुरू हो चुकी है और दोनों पक्षों को 16-16 घंटे दिए जाएंगे. इससे पहले राष्ट्रपति के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया केवल तीन बार हुई, जिसमें एंड्रयू जॉनसन, बिल क्लिंटन और फिर पिछले साल ट्रंप को बरी कर दिया गया.


यह भी पढ़ें:
अमेरिकी संसद में ट्रंप को शपथ के साथ देनी होगी गवाही, वकीलों ने महाभियोग को बताया असंवैधानिक