अमेरिकी सांसदों ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से अपील की है कि वो एच1-बी वीजा को लेकर जारी अपने आदेश पर पुनर्विचार करें, जिसमें 1,00,000 अमेरिकी डॉलर की भारी भरकम फीस शामिल है. सांसदों ने कहा कि भारतीय नागरिक अमेरिका के सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) एवं कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) क्षेत्र में अमेरिका के नेतृत्व के केंद्र में हैं और इस तरह की प्रतिबंधात्मक नीतियां अमेरिका और भारत के बीच संबंधों पर नकारात्मक प्रभाव डालेंगी.

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अमेरिकी प्रतिनिधि सभा के सदस्य जिमी पनेटा के साथ ही कांग्रेस सदस्यों अमी बेरा, सालुद कार्बाजल और जूली जॉनसन ने गुरुवार (30 अक्टूबर, 2025) को डोनाल्ड ट्रंप को लेटर लिखा. सांसदों ने एच1-बी वीजा कार्यक्रम को लेकर ट्रंप की 'कुछ गैर-प्रवासी कामगारों के प्रवेश पर पाबंदी' संबंधी घोषणा पर चिंता जतायी, जिसके तहत अन्य पाबंदियों के अलावा नये आवेदनों पर 100,000 अमेरिकी डॉलर का शुल्क लगाया गया है.

'आप 19 सितंबर की घोषणा को स्थगित करें'

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उन्होंने कहा, ‘‘हाल ही में भारत गए प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों के रूप में हम न केवल अमेरिकी अर्थव्यवस्था, राष्ट्रीय सुरक्षा और कॉम्पिटेटिव बेनिफिट के लिए, बल्कि भारतीय-अमेरिकी समुदायों के संबंधों को लेकर भी एच-1बी कार्यक्रम के महत्व को समझते हैं.’’ सांसदों ने पत्र में कहा, 'हम आपसे सम्मानपूर्वक अनुरोध करते हैं कि आप 19 सितंबर की घोषणा को स्थगित करें और ऐसी किसी भी नीति पर पुनर्विचार करें, जो एच-1बी कार्यक्रम तक उचित पहुंच को कमतर करती हो.'

चीन का हवाला देकर क्या कहा?

उन्होंने कहा कि ऐसे समय में जब चीन कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और एडवांस्ड तकनीकों में आक्रामक तरीके से इनवेस्ट कर रहा है. अमेरिका को अपने इनोवेशन इकोसिस्टम को बनाए रखने, रक्षा औद्योगिक आधार को मजबूत करने और अपनी दीर्घकालिक प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त को बनाए रखने के लिए दुनिया की सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाओं को आकर्षित करना जारी रखना चाहिए.

उन्होंने कहा, ‘‘भारत के मामले में जो पिछले साल 71 प्रतिशत एच-1बी धारकों का मूल देश था, इस प्रतिभा को आकर्षित करने से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक प्रमुख लोकतांत्रिक साझेदार के साथ हमारी रणनीतिक साझेदारी भी मजबूत होती है.’’

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