Afghanistan Earthquake: अफगानिस्तान में रविवार (8 जून की 2025) को सुबह-सुबह भूकंप के झटके महसूस किए गए. नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के अनुसार, रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 3.8 मापी गई. भूकंप का केंद्र जमीन के 10 किमी अंदर बताया जा रहा है, जो काफी खतरनाक साबित हो सकता था.
NCS के मुताबिक, अफगानिस्तान में 8 जून को आए भूकंप की तीव्रता 3.8 मैग्नीट्यूड थी. भले ही इसकी तीव्रता कम हो, लेकिन इसका केंद्र इतना ऊपरी सतह पर था कि इससे इमारतों के लिए बड़ा खतरा था.
अफगानिस्तान में क्यों आते हैं भूकंप?
हिंदू कुश पर्वत श्रृंखला, जो अफगानिस्तान के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में फैली है. इसे टेक्टोनिक दृष्टि से अत्यधिक सक्रिय क्षेत्र माना जाता है. यह इलाका भारतीय और यूरेशियन प्लेटों के टकराव का केंद्र है. इन प्लेटों के लगातार आपसी संपर्क और टकराव के चलते यहां भूगर्भीय तनाव पैदा होता है जो अंततः भूकंप के रूप में सामने आता है. रेड क्रॉस की रिपोर्टों के अनुसार, अफगानिस्तान के इन क्षेत्रों में हर साल सैकड़ों भूकंपीय घटनाएं होती हैं. इस तरह के इलाकों में फॉल्ट लाइनों का घना जाल मौजूद होता है, जो भविष्य के लिए चिंता का कारण है.
अफगानिस्तान की हेरात रेखा (Herat Fault Line) विशेष रूप से संवेदनशील मानी जाती है. यह रेखा अफगानिस्तान के पश्चिमी हिस्से से होकर गुजरती है और इसने ऐतिहासिक रूप से कई बड़े भूकंपों को जन्म दिया है. यह फॉल्ट लाइन भारतीय प्लेट और यूरेशियन प्लेट के बीच की सीमाओं को स्पष्ट करती है. भूगर्भशास्त्रियों का मानना है कि जब भी इन प्लेटों के बीच दबाव अपने चरम पर पहुँचता है, वह ऊर्जा किसी फॉल्ट लाइन के माध्यम से मुक्त होती है – जो ज़मीन की सतह को झकझोर देती है.