वॉशिंगटन: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले साल अफगानिस्तान और सीरिया से अमेरिका सैनिकों को वापस बुलाने की घोषणा की. अचानक से की गई इस घोषणा से सब हैरान रह गए. लेकिन अब आई एक ख़बर ट्रंप के इस फैसले के विरोधाभास में है. दरअसल, भारत के मित्र देश ईरान पर निगरानी और दबाव बनाने के लिए ट्रंप इराक में अमेरिकी सैनिकों को बनाए रखने की योजना बना रहे हैं.

ट्रंप ने कहा, "मैं ईरान पर निगरानी में सक्षम रहना चाहता हूं." उन्होंने कहा, "हम निगरानी जारी रखेंगे. अगर वहां कोई संकट होता है या अगर कोई परमाणु हथियार जैसी चीज का इस्तेमाल करता है तो हमें उसके ऐसा करने से पहले पता चल जाएगा." न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी कमांडो और फिलहाल सीरिया में सक्रिय सैनिकों को इराक में अपने ठिकाना बदलने को कहा गया है.

इसी सिलसिले में वहां से आतंकी समूह इस्लामिक स्टेट (आईएस) पर हमला करने की इजाजत देने के लिए अमेरिका पिछले कई सप्ताह से इराक के साथ गुपचुप तरीके से बातचीत कर रहा है. इसी पर ट्रंप की यह टिप्पणी आई है. सैन्य नेतृत्व आईएस पर दबाव बनाए रखना चाहता है, क्योंकि राष्ट्रपति ने मौलिक रूप से सीरिया और अफगानिस्तान को लेकर नीतियों के क्रम को बदला है. अफगानिस्तान में तालिबान के साथ शांतिवार्ता जारी है.

ट्रंप के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए इराक के सांसद जवाद अल मुसावी ने कहा कि इससे उनका विरोध बढ़ेगा. उन्होंने कहा, "अगर वो कहते हैं कि वे आईएस के खिलाफ हमारी सुरक्षा के लिए आ रहे हैं तो हमें अमेरिकी सरकार पर शक है." उन्होंने कहा कि इसके पीछे असली कारण ये है कि वो ईरान पर हमले करने के लिए आएंगे.

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