भारत पर 50 फीसदी अमेरिकी टैरिफ लागू होने के बाद अब दोनों देशों के शीर्ष अधिकारियों की तरह से टिप्पणियां तेज हो गई हैं. इसी कड़ी में अमेरिकी नेशनल इकोनॉमिक काउंसिल के निदेशक केविन हैसेट ने कहा कि अगर भारत ने रूसी कच्चे तेल का व्यापार नहीं रोका तो राष्ट्रपति ट्रंप अपने दंडात्मक टैरिफ में नरमी नहीं दिखाएंगे. उन्होंने भारत के साथ व्यापार वार्ताओं को "जटिल" बताया और कहा कि भारत अमेरिकी उत्पादों के लिए बाजार खोलने में जिद्दी रुख अपना रहा है.
भारतीय सामान पर रिकॉर्ड टैरिफअमेरिका ने बुधवार को भारतीय उत्पादों पर टैरिफ को 50% तक दोगुना कर दिया, जो ब्राज़ील के बाद किसी भी देश पर सबसे अधिक है. इसमें भारत द्वारा रूसी तेल खरीदने पर 25% अतिरिक्त शुल्क शामिल है.
भारतीय सामान पर रिकॉर्ड टैरिफ अमेरिका ने बुधवार को भारतीय उत्पादों पर टैरिफ को 50% तक दोगुना कर दिया, जो ब्राजील के बाद किसी भी देश पर सबसे अधिक है. इसमें भारत द्वारा रूसी तेल खरीदने पर 25% अतिरिक्त शुल्क शामिल है. वार्ताओं को बताया 'लंबी दौड़' हैसेट ने भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता को मैराथन से तुलना करते हुए कहा कि इसमें उतार-चढ़ाव आते रहेंगे और अंतिम समझौते तक पहुंचने के लिए लंबा दृष्टिकोण अपनाना होगा. उधर, अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने भी कहा कि भारत पर ऊंचे टैरिफ केवल रूसी तेल के कारण नहीं हैं, बल्कि लंबे समय से खिंच रही व्यापार वार्ताओं की वजह से भी हैं. उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद थी कि मई-जून तक समझौता हो जाएगा, लेकिन भारत सहयोग नहीं कर रहा. हालांकि, उन्होंने भरोसा जताया कि दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र (भारत) और सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था (अमेरिका) अंततः साथ आएंगे.
भारत का रुखभारत ने साफ कहा है कि वह अमेरिकी दबाव में नहीं झुकेगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वादा किया कि वे देश के किसानों के हितों से कभी समझौता नहीं करेंगे.
निर्यात पर असरसरकार का अनुमान है कि नए टैरिफ का असर 48.2 अरब डॉलर के भारतीय निर्यात पर पड़ेगा. अधिकारियों ने चेताया कि भले ही तुरंत असर सीमित लगे, लेकिन लंबे समय में रोजगार पर चोट और आर्थिक वृद्धि में गिरावट जैसी चुनौतियां सामने आ सकती हैं. कई शिपमेंट अमेरिका भेजना गैर-लाभकारी हो सकता है.